ગુજરાત રાજપૂત (ક્ષત્રિય) વોલીબોલ લીગ - ૨૦૧૬


ગુજરાત રાજપૂત (ક્ષત્રિય) વોલીબોલ લીગ - ૨૦૧૬
(G.R.V.L - 2016)
ગુજરાત રાજ્યના રાજપૂત (ક્ષત્રિય) સમાજના યુવાઓ (દીકરા/દીકરીઓ) માટે પાસીંગ અને શૂટિંગ માં લઈને આવી રહ્યા છે.. વોલીબોલ લીગ - ૨૦૧૬.
આ વખતે પણ એજ ફોર્મેટ થી એટલે કે ગુજરાતના ૪ અલગ અલગ ઝોન (ઉત્તર, દક્ષિણ, મધ્ય અને કચ્છ કાઠીયાવાડ) મા રમાશે મેચો. દરેક ઝોન મા કુલ ૩૨ ટીમો ભાગ લેશે જેમની વચ્ચે ઝોનલ મેચો રમાશે.. અને દરેક ઝોનમાંથી ૪ એટલે કે ૪ ઝોન માંથી કુલ ૧૬ ટીમો સ્ટેટ લેવલ પર આવશે. ઝોન ની મેચો અંદાજિત ૨૬-૨૭ નવેમ્બર ૨૦૧૬ અને સ્ટેટ લેવલ ની મેચો ૧૭-૧૮ ડિસેમ્બર ૨૦૧૬ મા રહેશે.
આ ૧૬ ટીમો વચ્ચે સ્ટેટ લેવલ ની મેચો રમાશે... જેમાથી વિનર ટીમને " G.R.V.L - 2016" ની ટ્રોફી થી સન્માનિત કરવામા આવશે.
ટૂંક જ સમયમાં સ્થળ તેમજ અન્ય માહિતી ઉપલબ્ધ કરીશું..
(પાસીંગ / શૂટિંગ) વોલીબોલ રમવા ભાગ લેવા માટે, તેમજ સ્પોન્સરશીપ તથા સ્ટેટ ની વોલીબોલ ટીમ ખરીદવા માટે આપ અમારો સમ્પર્ક કરી શકો છો...
સંપર્ક સૂત્ર :-
૯૯૦૯૧ ૧૫૫૫૫   /   ૯૯૨૫૧ ૧૨૯૯૯
૯૦૯૯૯ ૩૭૮૯૦   /   ૯૮૭૯૯ ૨૧૪૪૦

जानिए IPC में धाराओ का मतलब ..


जानिए IPC में धाराओ का मतलब .....
धारा 307 = हत्या की कोशिश
धारा 302 =हत्या का दंड
धारा 376 = बलात्कार
धारा 395 = डकैती
धारा 377= अप्राकृतिक कृत्य
धारा 396= डकैती के दौरान हत्या
धारा 120= षडयंत्र रचना
धारा 365= अपहरण
धारा 201= सबूत मिटाना
धारा 34= सामान आशय
धारा 412= छीनाझपटी
धारा 378= चोरी
धारा 141=विधिविरुद्ध जमाव
धारा 191= मिथ्यासाक्ष्य देना
धारा 300= हत्या करना
धारा 309= आत्महत्या की कोशिश
धारा 310= ठगी करना
धारा 312= गर्भपात करना
धारा 351= हमला करना
धारा 354= स्त्री लज्जाभंग
धारा 362= अपहरण
धारा 415= छल करना
धारा 445= गृहभेदंन
धारा 494= पति/पत्नी के जीवनकाल में पुनःविवाह0
धारा 499= मानहानि
धारा 511= आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड।
 हमारेे देश में कानूनन कुछ ऐसी हकीक़तें है, जिसकी जानकारी हमारे पास नहीं होने के कारण  हम अपने अधिकार से मेहरूम रह जाते है।

तो चलिए ऐसे ही कुछ  *5 रोचक फैक्ट्स* की जानकारी आपको देते है, जो जीवन में कभी भी उपयोगी हो सकती है.

👁‍🗨 *1.  शाम के वक्त महिलाओं की गिरफ्तारी नहीं हो सकती*-

कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर, सेक्शन 46 के तहत शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 के पहले भारतीय पुलिस किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं कर सकती, फिर चाहे गुनाह कितना भी संगीन क्यों ना हो. अगर पुलिस ऐसा करते हुए पाई जाती है तो गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत (मामला) दर्ज की जा सकती है. इससे उस पुलिस अधिकारी की नौकरी खतरे में आ सकती है.

👁‍🗨 *2. सिलेंडर फटने से जान-माल के नुकसान पर 40 लाख रूपये तक का बीमा कवर क्लेम कर सकते है*-

पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी के तहत अगर किसी कारण आपके घर में सिलेंडर फट जाता है और आपको जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है तो आप तुरंत गैस कंपनी से बीमा कवर क्लेम कर सकते है. आपको बता दे कि गैस कंपनी से 40 लाख रूपये तक का बीमा क्लेम कराया जा सकता है. अगर कंपनी आपका क्लेम देने से मना करती है या टालती है तो इसकी शिकायत की जा सकती है. दोषी पाये जाने पर गैस कंपनी का लायसेंस रद्द हो सकता है.

👁‍🗨 *3. कोई भी हॉटेल चाहे वो 5 स्टार ही क्यों ना हो… आप फ्री में पानी पी सकते है और वाश रूम इस्तमाल कर सकते है*-

इंडियन सीरीज एक्ट, 1887 के अनुसार आप देश के किसी भी हॉटेल में जाकर पानी मांगकर पी सकते है और उस हॉटल का वाश रूम भी इस्तमाल कर सकते है. हॉटेल छोटा हो या 5 स्टार, वो आपको रोक नही सकते. अगर हॉटेल का मालिक या कोई कर्मचारी आपको पानी पिलाने से या वाश रूम इस्तमाल करने से रोकता है तो आप उन पर कारवाई  कर सकते है. आपकी शिकायत से उस हॉटेल का लायसेंस रद्द हो सकता है.

👁‍🗨 *4. गर्भवती महिलाओं को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता*-

मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1961 के मुताबिक़ गर्भवती महिलाओं को अचानक नौकरी से नहीं निकाला जा सकता. मालिक को पहले तीन महीने की नोटिस देनी होगी और प्रेगनेंसी के दौरान लगने वाले खर्चे का कुछ हिस्सा देना होगा. अगर वो ऐसा नहीं करता है तो  उसके खिलाफ सरकारी रोज़गार संघटना में शिकायत कराई जा सकती है. इस शिकायत से कंपनी बंद हो सकती है या कंपनी को जुर्माना भरना पड़ सकता है.

👁‍🗨 *5. पुलिस अफसर आपकी शिकायत लिखने से मना नहीं कर सकता*-

आईपीसी के सेक्शन 166ए के अनुसार कोई भी पुलिस अधिकारी आपकी कोई भी शिकायत दर्ज करने से इंकार नही कर सकता. अगर वो ऐसा करता है तो उसके खिलाफ वरिष्ठ पुलिस दफ्तर में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. अगर वो पुलिस अफसर दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 6 महीने से लेकर 1  साल तक की जेल हो सकती है या फिर उसे अपनी नौकरी गवानी पड़ सकती है.

इन रोचक फैक्ट्स को हमने आपके लिए ढूंढ निकाला है.

ये वो रोचक फैक्ट्स है, जो हमारे देश के कानून के अंतर्गत आते तो है पर हम इनसे अंजान है. हमारी कोशिश होगी कि हम आगे भी ऐसी बहोत सी रोचक बाते आपके समक्ष रखे, जो आपके जीवन में उपयोगी हो।

*इस मैसेज को आगे भी भेजना और अपने पास सहेज कर रखना, आपके कभी भी ये अधिकार काम आ सकते हैं।*

✍अधिकार✍

जानिए IPC में धाराओ का मतलब


जानिए IPC में धाराओ का मतलब .....
धारा 307 = हत्या की कोशिश
धारा 302 =हत्या का दंड
धारा 376 = बलात्कार
धारा 395 = डकैती
धारा 377= अप्राकृतिक कृत्य
धारा 396= डकैती के दौरान हत्या
धारा 120= षडयंत्र रचना
धारा 365= अपहरण
धारा 201= सबूत मिटाना
धारा 34= सामान आशय
धारा 412= छीनाझपटी
धारा 378= चोरी
धारा 141=विधिविरुद्ध जमाव
धारा 191= मिथ्यासाक्ष्य देना
धारा 300= हत्या करना
धारा 309= आत्महत्या की कोशिश
धारा 310= ठगी करना
धारा 312= गर्भपात करना
धारा 351= हमला करना
धारा 354= स्त्री लज्जाभंग
धारा 362= अपहरण
धारा 415= छल करना
धारा 445= गृहभेदंन
धारा 494= पति/पत्नी के जीवनकाल में पुनःविवाह0
धारा 499= मानहानि
धारा 511= आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड।
 हमारेे देश में कानूनन कुछ ऐसी हकीक़तें है, जिसकी जानकारी हमारे पास नहीं होने के कारण  हम अपने अधिकार से मेहरूम रह जाते है।

तो चलिए ऐसे ही कुछ  *5 रोचक फैक्ट्स* की जानकारी आपको देते है, जो जीवन में कभी भी उपयोगी हो सकती है.

👁‍🗨 *1.  शाम के वक्त महिलाओं की गिरफ्तारी नहीं हो सकती*-

कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर, सेक्शन 46 के तहत शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 के पहले भारतीय पुलिस किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं कर सकती, फिर चाहे गुनाह कितना भी संगीन क्यों ना हो. अगर पुलिस ऐसा करते हुए पाई जाती है तो गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत (मामला) दर्ज की जा सकती है. इससे उस पुलिस अधिकारी की नौकरी खतरे में आ सकती है.

👁‍🗨 *2. सिलेंडर फटने से जान-माल के नुकसान पर 40 लाख रूपये तक का बीमा कवर क्लेम कर सकते है*-

पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी के तहत अगर किसी कारण आपके घर में सिलेंडर फट जाता है और आपको जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है तो आप तुरंत गैस कंपनी से बीमा कवर क्लेम कर सकते है. आपको बता दे कि गैस कंपनी से 40 लाख रूपये तक का बीमा क्लेम कराया जा सकता है. अगर कंपनी आपका क्लेम देने से मना करती है या टालती है तो इसकी शिकायत की जा सकती है. दोषी पाये जाने पर गैस कंपनी का लायसेंस रद्द हो सकता है.

👁‍🗨 *3. कोई भी हॉटेल चाहे वो 5 स्टार ही क्यों ना हो… आप फ्री में पानी पी सकते है और वाश रूम इस्तमाल कर सकते है*-

इंडियन सीरीज एक्ट, 1887 के अनुसार आप देश के किसी भी हॉटेल में जाकर पानी मांगकर पी सकते है और उस हॉटल का वाश रूम भी इस्तमाल कर सकते है. हॉटेल छोटा हो या 5 स्टार, वो आपको रोक नही सकते. अगर हॉटेल का मालिक या कोई कर्मचारी आपको पानी पिलाने से या वाश रूम इस्तमाल करने से रोकता है तो आप उन पर कारवाई  कर सकते है. आपकी शिकायत से उस हॉटेल का लायसेंस रद्द हो सकता है.

👁‍🗨 *4. गर्भवती महिलाओं को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता*-

मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1961 के मुताबिक़ गर्भवती महिलाओं को अचानक नौकरी से नहीं निकाला जा सकता. मालिक को पहले तीन महीने की नोटिस देनी होगी और प्रेगनेंसी के दौरान लगने वाले खर्चे का कुछ हिस्सा देना होगा. अगर वो ऐसा नहीं करता है तो  उसके खिलाफ सरकारी रोज़गार संघटना में शिकायत कराई जा सकती है. इस शिकायत से कंपनी बंद हो सकती है या कंपनी को जुर्माना भरना पड़ सकता है.

👁‍🗨 *5. पुलिस अफसर आपकी शिकायत लिखने से मना नहीं कर सकता*-

आईपीसी के सेक्शन 166ए के अनुसार कोई भी पुलिस अधिकारी आपकी कोई भी शिकायत दर्ज करने से इंकार नही कर सकता. अगर वो ऐसा करता है तो उसके खिलाफ वरिष्ठ पुलिस दफ्तर में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. अगर वो पुलिस अफसर दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 6 महीने से लेकर 1  साल तक की जेल हो सकती है या फिर उसे अपनी नौकरी गवानी पड़ सकती है.

इन रोचक फैक्ट्स को हमने आपके लिए ढूंढ निकाला है.

ये वो रोचक फैक्ट्स है, जो हमारे देश के कानून के अंतर्गत आते तो है पर हम इनसे अंजान है. हमारी कोशिश होगी कि हम आगे भी ऐसी बहोत सी रोचक बाते आपके समक्ष रखे, जो आपके जीवन में उपयोगी हो।

*इस मैसेज को आगे भी भेजना और अपने पास सहेज कर रखना, आपके कभी भी ये अधिकार काम आ सकते हैं।*

✍अधिकार✍

#‎रहस्य‬ ‪#‎क्षत्रियत्व‬ ‪#‎रजपूती‬


#‎रहस्य‬ ‪#‎क्षत्रियत्व‬ ‪#‎रजपूती‬
जरूर पढे राजपूतो से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओ को
1) अगर आप के पिता जी /दादोसा बिराज रहे है तो कोई भी शादी ,फंक्शन, मंदिर इतिआदि में आप के कभी भी लम्बा तिलक और चावल नहीं लगेगा, सिर्फ एक छोटी टीकी लगेगी !
2) पहले के वक़्त वक़्त राजपूत समाज में अमल का उपयोग इस लिए ज्यादा होता था क्योकि अमल खाने से खून मोटा हो जाता था, जिस से लड़ाई की समय मेंहदी घाव लगने पर खून कार रिसाव नहीं के बराबर होता था, और मल-मूत्र रुक जाता था जयमल मेड़तिया ने अकबर से लड़ाई के पूर्व सभी राजपूत सिरदारो को अमल पान करवाया ने
3) पहले कोई भी राजपूत बिना पगड़ी के घोड़े पर नही बैठते थे
4) सौराष्ट्र (काठियावाड़) और कच्छ में आज भी गिरासदार राजपूत घराने में अगर बेटे की शादी हो तो बारात नहीं जाती, उसकी जगह लड़केवालों की तरफ से घर के वडील (फुवासा, बनेविसा, मामासा) एक तलवार के साथ 3 या 5 की संख्या में लड़की के घर जाते हे जिसे "वेळ” या ‘खांडू" कहते है. लड़कीवाले उस तलवार के साथ विधि करके बेटीको विदा करते है. मंगल फेरे लड़के के घर लिए जाते है.
5) आज भी कही घरो में तलवार को मयान से निकालने नहीं देते, क्योकि तलवार को परंपरा है की अगर वो मयान से बाहर आई तो यहाँ तो उनके खून लगेगा, यहाँ लोहे पर बजेगी, इसलिए आज भी कभी अगर तलवार मयान से निकलते भी है तो उसको लोहे पर बजा कर ही फिर से मयान में डालते है !
6) राजपूत परम्परा के मुताबिक पिता का पहना हुआ साफा , आप नहीं पहन सकते
7) पैर में कड़ा-लंगर, हाथी पर तोरण, नांगारा निशान, ठिकाने का मोनो ये सब जागीरी का हिस्सा थे, हर कोई जागीरदार नहीं कर सकता था, स्टेट की तरफ से इनायत होते थे..!!
8) पहले सारे बड़े ताजमी ठिकानो में ठिकानेदारों को विवाह से पूर्व स्टेट महाराजा से अनुमति लेनी पढ़ती थी
9) हर राज दरबार के, ठिकाने के, यहाँ गोत्र उप्प गोत्र के इष्ट देवता होते थे, जो की ज्यादतर कृष्ण या विष्णु के अनेक रूप में से होते थे, और उनके नाम से ही गाँववाले या नाते-रिश्तेदार दुसरो को पुकारते है करते थे, जैसे की जय रघुनाथ जी की , जय चारभुजाजी की
10) मल गोलना, चिलम, हुक्का यहाँ दारू की मनवार, मकसद होता था, भाई,बंधू, भाईपे,रिश्तेदार को एक जाजम पर लाना !!मनवार का अनादर नहीं करना चाहिए, अगर आप नहीं भी पीते है तो भी मनवार के हाथ लगाके या हाथ में ले कर सर पर लगाके वापस दे दे, पीना जरुरी नहीं है , पर ना -नुकुर कर उसका अनादर न करे
11) जब सिर पर साफा बंधा होता है तोह तिलक करते समय पीछे हाथ नही रखा जाता
12) दुल्हे की बन्दोली में घोडा या हाथी हो सकता है पर तोरण पर नहीं, क्योकि घोडा भी नर है, और वो भी आप के साथ तोरण लगा रहा होता है, इस्सलिये हमेशा तोरण पर घोड़ी या हथनी होती है !!
13) एक ठिकाने का एक ही ठाकुर,राव,रावत हो सकता था, जो गद्दी पर बैठा है, बाकि के भाई,काका ये टाइटल तभी लगा सकते थे जब की उनको ठिकाने की तरफ से अलग से जागीरी मिली हो,और वो उस के जागीरदार हो, अगर वो उसी ठिकाने /राज में रह रहे हो, तो उनके लिए "महाराज" का टाइटल होता था!
14) आज भी त्योहारों पर ढोल बजने के नट,नगरसी या ढोली आते है उन्हें बैठने के लिए उचित आसान (जाजम) दिए जाते है उनके ढोल में देवी का वास होता है और ऐसे आदर के लिए किया जाता है
15) राजपूत जनाना में राजपूत महिलाये नाच गान के बाद ढोली जी और ढोलन की तरफ जुक कर प्रणाम करती है
16) नजराने के भी अलग अलग नियम थे, अगर आप छोटे ठिकानेदार हो तो महाराजा साब या महाराणा साब आप के हाथ से उठा लेते थे, पर अगर आप उमराव या सिरायती ठिकानेदार हो तो महाराजा साब या महाराणा साब आप का हाथ अपने हाथ पर उल्टा करके, अपना हाथ नीचे रख कर नजराना लेते थे !!
17) कोर्ट में अगर आप छोटे ठिकानेदार हो तो महाराजा साब या महाराणा साब आप के आने पर खड़े नहीं होते थे, पर अगर आप उमराव या सिरायती ठिकानेदार हो तो महाराजा साब या महाराणा साब आप के आने और आप के जाने पर दोनों वक्त उनको खड़ा होना पड़ता है'
18) सिर्फ राठोरो के पास "कमध्वज" का टाइटल है, इसका मतलब है, सर काटने के बाद भी लड़ने वाला !
19) राजपूतो में ठाकुर पदवी के इस्तेमाल के बारे में में कुछ बाते :यदि आपके दादोसा हुकम बिराज रहे है तो वो ही ठाकुर पदवी का प्रयोग कर सकते है, आपके दाता हुकम कुंवर का और आप भंवर का प्रयोग कर्रेंगे और आपके बना (चौथी पीढ़ी) के लिए तंवर का प्रयोग होगा.
20) एक ठिकाने में तीन से चार पाकसाला (रसोई) हो सकती थी, ठाकुरसाब, ठुकरानी के लिए विशेष पाकसाला होती थी, एक पाकसाला मरदाना में होती थी, जिस में मास इतीआदि बनते थे, जनाना में सात्विक भोजन की पाकसाला होती थी, विद्वाओ के लिए अलग भोजन बनता था, ठिकाने के कर्मचारी नौकरों के लिए अलग से पाकशाला होती थी, एक पाकशाला मेहमानों के लिए होती थी,
21) र

चुडासमा क्षत्रिय_वंश परिचय


==चुडासमा क्षत्रिय_वंश परिचय==
गोत्र : अत्रि
वंश : चन्द्रवंश / यादव / यदुवंश
शाखा : माध्यायनी
कुल देवी : अम्बा भवानी
सहायक देवी: खोडियार माँ
आदि पुरुष: आदिनारयण भगवान
कुल देवता: भगवन श्री कृष्ण
तलवार : ताती
ध्वजा : केसरी
शंख: अजय
नदी: कालिंदी
नगाड़ा : अजीत
मुख्य गद्दी : जूनागढ़
== जूनागढ़ और चुडासमा का इतिहास ==
>जुनागढ का नाम सुनते ही लोगो के दिमाग मे "आरझी हकुमत द्वारा जुनागढ का भारतसंघ मे विलय, कुतो के शोखीन नवाब, भुट्टो की पाकिस्तान तरफी नीति " जैसे विचार ही आयेंगे, क्योकी हमारे देश मे ईतिहास के नाम पर मुस्लिमो और अंग्रेजो की गुलामी के बारे मे ही पढाया जाता है, कभी भी हमारे गौरवशाली पूर्खो के बारे मे कही भी नही पढाया जाता || जब की हमारा ईतिहास इससे कई ज्यादा गौरवशाली, सतत संघर्षपूर्ण और वीरता से भरा हुआ है ||
> जुनागढ का ईतिहास भी उतना ही रोमांच, रहस्यो और कथाओ से भरा पडा है || जुनागढ पहले से ही गुजरात के भुगोल और ईतिहास का केन्द्र रहा है, खास कर गुजरात के सोरठ प्रांत की राजधानी रहा है || गिरीनगर के नाम से प्रख्यात जुनागढ प्राचीनकाल से ही आनर्त प्रदेश का केन्द्र रहा है || उसी जुनागढ पर चंद्रवंश की एक शाखा ने राज किया था, जिसे सोरठ का सुवर्णकाल कहा गया है || वो राजवंश चुडासमा राजवंश | जिसकी अन्य शाखाए सरवैया और रायझादा है ||
> मौर्य सत्ता की निर्बलता के पश्चात मैत्रको ने वलभी को राजधानी बनाकर सोरठ और गुजरात पर राज किया || मैत्रको की सत्ता के अंत के बाद और 14 शताब्दी मे गोहिल, जाडेजा, जेठवा, झाला जैसे राजवंशो के सोरठ मे आने तक पुरे सोरठ पर चुडासमाओ का राज था ||

> भगवान आदिनारायण से 119 वी पीढी मे गर्वगोड नामक यादव राजा हुए, ई.स.31 मे वे शोणितपुर मे राज करते थे || उनसे 22 वी पीढी मे राजा देवेन्द्र हुए, उनके 4 पुत्र हुए,
1) असपत, 2)नरपत, 3)गजपत और 4)भूपत
>असपत शोणितपुर की गद्दी पर रहे, गजपत, नरपत और भूपत ने एस नये प्रदेश को जीतकर विक्रम संवत 708, बैशाख सुदी 3, शनिवार को रोहिणी नक्षत्र मे 'गजनी' शहर बसाया || नरपत 'जाम' की पदवी धारण कर वहा के राजा बने, जिनके वंशज आज के जाडेजा है || भूपत ने दक्षिण मे जाके सिंलिद्रपुर को जीतकर वहां भाटियानगर बसाया, बाद मे उनके वंशज जैसलमेर के स्थापक बने जो भाटी है ||
> गजपत के 15 पुत्र थे, उसके पुत्र शालवाहन, शालवाहन के यदुभाण, यदुभाण के जसकर्ण और जसकर्ण के पुत्र का नाम समा था || यही समा कुमार के पुत्र चुडाचंद्र हुए || वंथली (वामनस्थली) के राजा वालाराम चुडाचंद्र के नाना थे || वो अपुत्र थे ईसलिये वंथली की गद्दी पर चुडाचंद्र को बिठाया || यही से सोरठ पर चुडासमाओ का आगमन हुआ, वंथली के आसपास का प्रदेश जीतकर चुडाचंद्र ने उसे सोरठ नाम दिया, जंगल कटवाकर खेतीलायक जमीन बनवाई, ई.स. 875 मे वो वंथली की गद्दी पर आये || 32 वर्ष राज कर ई.स. 907 मे उनका देहांत हो गया ||
वंथली के पास धंधुसर की हानीवाव के शिलालेख मे लिखा है :



शिव पुराण १२ : काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग


शिव पुराण १२ : काशी  विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

काशी विश्वनाथ मंदिर हिन्दू देवस्थानों में सर्वाधिक सुप्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।  यह गंगा जी के किनारे बनारस में बसा है। मंदिर का बाहरी स्वरुप अनेक बार तोड़ दिया गया और यह पुनर्गठित हुआ।  आखिरी बार औरंगज़ेब ने इस मंदिर को तोड़ कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवायी थी।  आज का मंदिर अहल्याबाई होल्कर (इंदौर की मराठा रानी) द्वारा बनवाया गया था।

कहते हैं कि एक बार ब्रह्मा और विष्णु में बहस हो गयी थी कि कौन बड़ा है। तब शिव जी वहां प्रकाश लिंग के रूप में प्रकट हुए थे और ब्रह्मा जी अपने हंस पर बैठ ऊपरी छोर ढूंढने निकले और विष्णु जी वराह रूप में निचला छोर। विष्णु जी ने स्वीकार किया कि मैं अंतिम छोर न ढूंढ पाया किन्तु ब्रह्मा जी ने झूठ कहा कि मैंने खोज लिया।  तब शिव जी एक और ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए और ब्रह्मा को श्राप दिया कि उनकी पूजा न होगी क्योंकि स्वयं को पूजित बनाने  झूठ बोला था ।

यहीं पास में मणिकर्णिका मंदिर है जो सती माता का  शक्तिपीठ है ।  यह भी एक कथा है कि शिव जी ने यह स्थल अपने त्रिशूल पर उठा रखा है और इसे ब्रह्मा की सृष्टि से पृथक कर दिया था।  जब प्रलय होती है तो शिव जी इसे त्रिशूल पर रखते हैं और नए संसार में दुबारा अपने स्थान पर स्थापित कर  हैं ।

एक और कथा है कि जब शिव जी ब्रह्मा जी पर क्रुद्ध हुए तो  काल भैरव को प्रकट किया जिन्होने  ब्रह्मा जी का एक मुख काट दिया।  यह ब्रह्महत्या हुई और कटा हुआ मुख काल भैरव से जुड़ गया।  उन्होंने बहुत प्रयास किये किन्तु ब्रह्मह्त्या अलग न होती थी।  फिर कल भैरव ने काशी आकर गंगा स्नान किया और पाप मुक्त हुए ।

मंदिर  प्रांगण में ज्ञानवापी नामक कुआं है । कहते हैं आक्रमण के समय पुजारी शिवलिंग को बचाने के लिए उन्हें लेकर कुँए में कूद गए थे।

ट्रेफिक के नियमों


कोई पुलिस वाला नही निकाल सकता अपकी बाइक की चाबी,
जाने क्या है चालान के नियम :-

रोड पर चलते हुए आपके कुछ अधिकार और कुछ ड्यूटी है और ये दोनों ही चीजें आपकी और दूसरों की सेफ्टी के लिए जरूरी हैं। अपने तमाम राइट्स एंजॉय करने और ड्यूटी को पूरा करने के लिए आपके पास ट्रेफिक व चालान के नियमों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। आज हम अपको बता रहे है ट्रैफिक से जुड़े ऐसे नियम जो आपके काम के हो सकते हैं|

चाबी निकालने का हक ट्रैफिक पुलिस वालों को नहीं:-

ट्रैफिक नियम तोड़ने के आरोप में जब पुलिसवाले किसी को रोकते हैं तो उसकी गाड़ी की चाबियां निकाल लेते हैं। ऐसा वे इसलिए करते हैं, क्योंकि लोग भागने की कोशिश करते हैं और अपनी और दूसरों की जिंदगी खतरे में डालते हैं। वैसे, चाबी निकालने का हक ट्रैफिक पुलिस वालों को नहीं है। ऐसा करना सही प्रैक्टिस नहीं माना जाता।

ये डॉक्युमेंट्स होने ही चाहिए अपके पास :-
------------------------------------------
ड्राइविंग करते वक्त आपके पास
- ड्राइविंग लाइसेंस।
- वीइकल का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट यानी आरसी।
- वीइकल का इंश्योरेंस सर्टिफिकेट और वैलिड पल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट।
- इनमें ड्राइविंग लाइलेंस और वैलिड पल्यूशन सर्टिफिकेट आपके पास ओरिजनल होने चाहिए।
- जबकि आरसी और इंश्योरेंस सर्टिफिकेट की फोटो कॉपी भी अपने पास रख सकते हैं।

इन केस में हो सकता है लाइसेंस जब्त :-
-----------------------------------------
- रेड लाइट जंप करना पर।
- सामान की ओवरलोडिंग पर।
- बोझा ढोने वाले वाहनों में सवारी लेकर चलना पर।
- शराब पीकर या ड्रग्स लेकर गाड़ी चलाना।
- ड्राइविंग करते हुए मोबाइल पर बात करना और ओवर स्पीडिंग।
- ट्रैफिक के नियम तोड़ने पर ट्रैफिक पुलिस के पास यह पावर है कि वह नियम तोड़ने वाले का लाइसेंस जब्त कर ले।
- लाइसेंस की यह जब्ती तीन महीने के लिए होगी।

चालान के नियम--
------------------
चालान तीन तरह के होते हैं|
1- ऑन द स्पॉट चालान--
- ये चालान तब काटे जाते हैं, जब नियम तोड़ने वाले को पुलिस रंगे हाथों पकड़ लेती है।
- उसे चालान थमाकर वहीं जुर्माना वसूल लेती है।
- कोई अगर उस वक्त जुर्माना नहीं भरना चाहे तो पुलिस डीएल जमा कराकर चालान दे देती है ।

2- नोटिस चालान--
- अगर कोई नियम तोड़कर भाग गया तो पुलिस उसका नंबर नोट कर उसके घर चालान भिजवा देती है।
- इस चालान का जुर्माना भरने के लिए आरोपी को एक महीने का वक्त दिया जाता है।
- अगर समय पर जुर्माना नहीं भरा गया तो चालान कोर्ट भेज दिया जाता है।

3- कोर्ट के चालान--
- कोर्ट के चालान आमतौर पर कानून तोड़ने की ऐसी गंभीर घटनाओं में दिए जाते हैं।
- जिनमें जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है।
- शराब पीकर गाड़ी चलाना ऐसा ही मामला है।
- ये किए तो ऑन द स्पॉट ही जाते हैं, लेकिन इनका जुर्माना पुलिसकर्मी नहीं वसूलते। इसके लिए कोर्ट ही जाना होता है।

अगर आपके पास ऑन द स्पॉट फाइन देने के लिए पैसे नहीं हैं तो आपको कोर्ट में जाने के लिए चालान जारी कर दिया जाएगा। दी गई तारीख को आपको कोर्ट में पेश होना होगा, लेकिन ऐसी स्थिति में पुलिसवाले आपका ओरिजनल डीएल अपने पास रख लेंगे और डीएल जमा करवाने की रसीद आपको देंगे। कोर्ट में पेश होने के बाद ही आपको अपना डीएल मिलेगा।

कौन-कौन कर सकता है फाइन--
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- 100 रुपये से ज्यादा का फाइन है तो हेड कॉन्स्टेबल से ऊपर का ट्रैफिक ऑफिसर यानी एएसआई या एसआई ही कर सकता है।
- हेड कॉन्स्टेबल को 100 रुपये तक का फाइन लेने का हक है।
- कॉन्स्टेबल को फाइन करने का हक नहीं है। वे सिर्फ गाड़ी का नंबर नोट कर सकते हैं।
- कोई ट्रैफिक वाला आपका चालान तभी काट सकता है, जब उसने वर्दी पहनी हुई हो।
- उस पर नेमप्लेट लगाई हुई हो।
- अगर उसने वर्दी नहीं पहनी है या नेम प्लेट नहीं लगाई है तो आप उसकी कार्रवाई का विरोध कर सकते हैं।

नशे में गाड़ी चलाने पर सजा--
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अगर कोई ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चला रहा है और उसके खून में ऐल्कॉहॉल की मात्रा 30 एमजी प्रति 100 एमएल से ज्यादा है या उसने इतनी मात्रा में ड्रग्स लिया हुआ है कि उसका वाहन पर नियंत्रण नहीं रह सकता, तो उसे नशे की हालत में गाड़ी चलाने का आरोपी माना जाता है।

पहली बार यह जुर्म करने पर आरोपी को छह महीने तक की जेल या दो हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है। अगर पहले जुर्म के तीन साल के अंदर कोई दोबारा ऐसा करता है तो उसे दो साल तक की जेल या तीन हजार रुपये तक का फाइन या दोनों हो सकते हैं।

अब पुलिस ऐसे शख्स का लाइसेंस भी तीन महीने के लिए जब्त कर सकती है। ऐसे मामलों में पुलिस ऑन द स्पॉट फाइन नहीं करती। सभी चालान कोर्ट भेजे जाते हैं और कोर्ट ही फाइन लगाती है। अगर आप दी

एक बोतल कोका कोला लीजिये,,,


एक बोतल कोका कोला लीजिये,,,,,
उसे खोल कर उसमे थोड़ा दूध मिला दिजिये तकरीबन जितना कोका कोला आपने जगह बनाने के लिए निकाला था,,, अब कोका कोला को पुनः उसके ढक्कन से बंद कर इसे करीबन ६,,से 7 घंटे तक छोड़ दीजिये उसके बाद का परिणाम देख कर आप जिन्दगी में कोक या कोई भी कोल्ड ड्रिंक पीना छोड़ देंगे,,
मित्रों ये कंपनिया हमें साक्षात् ज़हर पिला रही हैं lगती हैं।
इसे पढ़ कर सिर्फ अपने पास तक सीमित मत रखिए बल्कि इसे आगे बढ़ाइए और मानवता की सेवा में थोड़ा योगदान दीजिऐ ।
धन्यवाद।
में अकेला इस लड़ाई को जीत नहीं सकता ,
अगर साथ हो तुम्हारा तो में हार नहीं सकता।
समर्थन दें.. वन्देमातरम् भारत माता की जय हो ।।

राजपूत


राजपूत

 १९३१ की जनगणना के अनुसार भारत में १२.८ मिलियन राजपूत थे जिनमे से ५०००० सिख, २.१ मिलियन मुसलमान और शेष हिन्दू थे।
हिन्दू राजपूत क्षत्रिय कुल के होते हैं।



राजपूत राजपूत उत्तर भारत का एक क्षत्रिय कुल। यह नाम राजपुत्र का अपभ्रंश है। राजस्थान में राजपूतों के अनेक किले हैं। राठौर, कुशवाहा, सिसोदिया, चौहान, जादों, पंवार आदि इनके प्रमुख गोत्र हैं। राजस्थान को ब्रिटिशकाल मे राजपूताना भी कहा गया है। पुराने समय में आर्य जाति में केवल चार वर्णों की व्यवस्था थी, किन्तु बाद में इन वर्णों के अंतर्गत अनेक जातियाँ बन गईं। क्षत्रिय वर्ण की अनेक जातियों और उनमें समाहित कई देशों की विदेशी जातियों को कालांतर में राजपूत जाति कहा जाने लगा। कवि चंदबरदाई के कथनानुसार राजपूतों की 36 जातियाँ थी। उस समय में क्षत्रिय वर्ण के अंतर्गत सूर्यवंश और चंद्रवंश के राजघरानों का बहुत विस्तार हुआ। राजपूतों में मेवाड़ के महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान का नाम सबसे ऊंचा है।
राजपूत शब्द का अर्थ होता है राजा का पुत्र। राजा से राज और पुत्र से पूत आया है, यानि राजा का पुत्र से राजपूत | राजपूत एक हिँदी शब्द है जिसे हम संस्कृत मेँ राजपुत्र कहते हैँ।राजपुत सामान्यतः क्षत्रिय वर्ण मे आते है|राजस्थानी मे ये रजपुत के नाम से भी जाने जाते है। ।

राजपूतों की उत्पत्ति
इन राजपूत वंशों की उत्पत्ति के विषय में विद्धानों के दो मत प्रचलित हैं- एक का मानना है कि राजपूतों की उत्पत्ति विदेशी है, जबकि दूसरे का मानना है कि, राजपूतों की उत्पत्ति भारतीय है। 12वीं शताब्दी के बाद् के उत्तर भारत के इतिहास को टोड ने 'राजपूत काल' भी कहा है। कुछ इतिहासकारों ने प्राचीन काल एवं मध्य काल को 'संधि काल' भी कहा है। इस काल के महत्वपूर्ण राजपूत वंशों में राष्ट्रकूट वंश, चालुक्य वंश, चौहान वंश, चंदेल वंश, परमार वंश एवं गहड़वाल वंश आदि आते हैं।
विदेशी उत्पत्ति के समर्थकों में महत्वपूर्ण स्थान 'कर्नल जेम्स टॉड' का है। वे राजपूतों को विदेशी सीथियन जाति की सन्तान मानते हैं। तर्क के समर्थन में टॉड ने दोनों जातियों (राजपूत एवं सीथियन) की सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति की समानता की बात कही है। उनके अनुसार दोनों में रहन-सहन, वेश-भूषा की समानता, मांसाहार का प्रचलन, रथ के द्वारा युद्ध को संचालित करना, याज्ञिक अनुष्ठानों का प्रचलन, अस्त्र-शस्त्र की पूजा का प्रचलन आदि से यह प्रतीत होता है कि राजपूत सीथियन के ही वंशज थे।
विलियम क्रुक ने 'कर्नल जेम्स टॉड' के मत का समर्थन किया है। 'वी.ए. स्मिथ' के अनुसार शक तथा कुषाण जैसी विदेशी जातियां भारत आकर यहां के समाज में पूर्णतः घुल-मिल गयीं। इन देशी एवं विदेशी जातियों के मिश्रण से ही राजपूतों की उत्पत्ति हुई।
भारतीय इतिहासकारों में 'ईश्वरी प्रसाद' एवं 'डी.आर. भंडारकर' ने भारतीय समाज में विदेशी मूल के लोगों के सम्मिलित होने को ही राजपूतों की उत्पत्ति का कारण माना है। भण्डारकर, कनिंघम आदि ने इन्हे विदेशी बताया है। । इन तमाम विद्वानों के तर्को के आधार पर निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि, यद्यपि राजपूत क्षत्रियों के वंशज थे, फिर भी उनमें विदेशी रक्त का मिश्रण अवश्य था। अतः वे न तो पूर्णतः विदेशी थे, न तो पूर्णत भारतीय।
इतिहास
राजपूतोँ का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। हिँदू धर्म के अनुसार राजपूतोँ का काम शासन चलाना होता है।कुछ राजपुतवन्श अपने को भगवान श्री राम के वन्शज बताते है।राजस्थान का अशिकन्श भाग ब्रिटिश काल मे राजपुताना के नाम से जाना जाता था।
 राजपूतोँ के वँश
"दस रवि से दस चन्द्र से बारह ऋषिज प्रमाण, चार हुतासन सों भये कुल छत्तिस वंश प्रमाण, भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान, चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण."
अर्थ:-दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का पमाण मिलता है।
सूर्य वंश की दस शाखायें:-
१. कछवाह२. राठौड ३. बडगूजर४. सिकरवार५. सिसोदिया ६.गहलोत ७.गौर ८.गहलबार ९.रेकबार १०.जुनने
चन्द्र वंश की दस शाखायें:-
१.जादौन२.भाटी३.तोमर४.चन्देल५.छोंकर६.होंड७.पुण्डीर८.कटैरिया९.स्वांगवंश १०.वैस
अग्निवंश की चार शाखायें:-
१.चौहान२.सोलंकी३.परिहार ४.पमार.
ऋषिवंश की बारह शाखायें:-
१.सेंगर२.दीक्षित३.दायमा४.गौतम५.अनवार (राजा जनक के वंशज)६.विसेन७.करछुल८.हय९.अबकू तबकू १०.कठोक्स ११.द्लेला १२.बुन्देला चौहान वंश की चौबीस शाखायें:-
१.हाडा २.खींची ३.सोनीगारा ४.पाविया ५.पुरबिया ६.संचौरा ७.मेलवाल८.भदौरिया ९.निर्वाण १०.मलानी ११.धुरा १२.मडरेवा १३.सनीखेची १४.वारेछा १५.पसे

तुलसीदास


महान कवि तुलसीदास की प्रतिभा-किरणों से न केवल हिन्दू समाज और भारत, बल्कि समस्त संसार आलोकित हो रहा है । बड़ा अफसोस है कि उसी कवि का जन्म-काल विवादों के अंधकार में पड़ा हुआ है। अब तक प्राप्त शोध-निष्कर्ष भी हमें निश्चितता प्रदान करने में असमर्थ दिखाई देते हैं। मूलगोसाईं-चरित के तथ्यों के आधार पर डा० पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल और श्यामसुंदर दास तथा किसी जनश्रुति के आधार पर "मानसमयंक' - कार भी १५५४ का ही समर्थन करते हैं। इसके पक्ष में मूल गोसाईं-चरित की निम्नांकित पंक्तियों का विशेष उल्लेख किया जाता है।

पंद्रह सै चौवन विषै, कालिंदी के तीर,
सावन सुक्ला सत्तमी, तुलसी धरेउ शरीर ।


तुलसीदास की जन्मभूमि

तुलसीदास की जन्मभूमि होने का गौरव पाने के लिए अब तक राजापुर (बांदा), सोरों (एटा), हाजीपुर (चित्रकूट के निकट), तथा तारी की ओर से प्रयास किए गए हैं। संत तुलसी साहिब के आत्मोल्लेखों, राजापुर के सरयूपारीण ब्राह्मणों को प्राप्त "मुआफी' आदि बहिर्साक्ष्यों और अयोध्याकांड (मानस) के तायस प्रसंग, भगवान राम के वन गमन के क्रम में यमुना नदी से आगे बढ़ने पर व्यक्त कवि का भावावेश आदि अंतर्साक्ष्यों तथा तुलसी-साहित्य की भाषिक वृत्तियों के आधार पर रामबहोरे शुक्ल राजापुर को तुलसी की जन्मभूमि होना प्रमाणित हुआ है।

रामनरेश त्रिपाठी का निष्कर्ष है कि तुलसीदास का जन्म स्थान सोरों ही है। सोरों में तुलसीदास के स्थान का अवशेष, तुलसीदास के भाई नंददास के उत्तराधिकारी नरसिंह जी का मंदिर और वहां उनके उत्तराधिकारियों की विद्यमानता से त्रिपाठी और गुप्त जी के मत को परिपुष्ट करते हैं।

जाति एवं वंश

जाति और वंश के सम्बन्ध में तुलसीदास ने कुछ स्पष्ट नहीं लिखा है। कवितावली एवं विनयपत्रिका में कुछ पंक्तियां मिलती हैं, जिनसे प्रतीत होता है कि वे ब्राह्मण कुलोत्पन्न थे-

दियो सुकुल जनम सरीर सुदर हेतु जो फल चारि को
जो पाइ पंडित परम पद पावत पुरारि मुरारि को ।
(विनयपत्रिका)

भागीरथी जलपान करौं अरु नाम द्वेै राम के लेत नितै हों ।
मोको न लेनो न देनो कछु कलि भूलि न रावरी और चितैहौ ।।

जानि के जोर करौं परिनाम तुम्हैं पछितैहौं पै मैं न भितैहैं
बाह्मण ज्यों उंगिल्यो उरगारि हौं त्यों ही तिहारे हिए न हितै हौं।

जाति-पांति का प्रश्न उठने पर वह चिढ़ गये हैं। कवितावली की निम्नांकित पंक्तियों में उनके अंतर का आक्रोश व्यक्त हुआ है -

""धूत कहौ अवधूत कहौ रजपूत कहौ जोलहा कहौ कोऊ काहू की बेटी सों बेटा न व्याहब,
काहू की जाति बिगारी न सोऊ।''

""मेरे जाति-पांति न चहौं काहू का जाति-पांति,
मेरे कोऊ काम को न मैं काहू के काम को ।''

राजापुर से प्राप्त तथ्यों के अनुसार भी वे सरयूपारीण थे। तुलसी साहिब के आत्मोल्लेख एवं मिश्र बंधुओं के अनुसार वे कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। जबकि सोरों से प्राप्त तथ्य उन्हें सना ब्राह्मण प्रमाणित करते है, लेकिन "दियो सुकुल जनम सरीर सुंदर हेतु जो फल चारि को' के आधार पर उन्हें शुक्ल ब्राह्मण कहा जाता है। परंतु शिवसिंह "सरोज' के अनुसार सरबरिया ब्राह्मण थे।

ब्राह्मण वंश में उत्पन्न होने के कारण कवि ने अपने विषय में "जायो कुल मंगन' लिखा है। तुलसीदास का जन्म अर्थहीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जिसके पास जीविका का कोई ठोस आधार और साधन नहीं था। माता-पिता की स्नेहिल छाया भी सर पर से उठ जाने के बाद भिक्षाटन के लिए उन्हें विवश होना पड़ा।

माता-पिता

तुलसीदास के माता पिता के संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं है। प्राप्त सामग्रियों और प्रमाणों के अनुसार उनके पिता का नाम आत्माराम दूबे था। किन्तु भविष्यपुराण में उनके पिता का नाम श्रीधर बताया गया है। रहीम के दोहे के आधार पर माता का नाम हुलसी बताया जाता है।

सुरतिय नरतिय नागतिय, सब चाहत अस होय ।
गोद लिए हुलसी फिरैं, तुलसी सों सुत होय ।।

गुरु

तुलसीदास के गुरु के रुप में कई व्यक्तियों के नाम लिए जाते हैं। भविष्यपुराण के अनुसार राघवानंद, विलसन के अनुसार जगन्नाथ दास, सोरों से प्राप्त तथ्यों के अनुसार नरसिंह चौधरी तथा ग्रियर्सन एवं अंतर्साक्ष्य के अनुसार नरहरि तुलसीदास के गुरु थे। राघवनंद के एवं जगन्नाथ दास गुरु होने की असंभवता सिद्ध हो चुकी है। वैष्णव संप्रदाय की किसी उपलब्ध सूची के आधार पर ग्रियर्सन द्वारा दी गई सूची में, जिसका उल्लेख राघवनंद तुलसीदास से आठ पीढ़ी पहले ही पड़ते हैं। ऐसी परिस्थिति में राघवानंद को तुलसीदास का गुरु नहीं माना जा सकता।

सोरों से प्राप्त सामग्रियों के अनुसार नरसिंह चौधरी तुलसीदास के गुरु थे। सोरों में नरसिंह जी के मंदिर तथा उनके वंशजों की विद्यमानता से यह पक्ष संपुष्ट हैं। लेकिन महात्मा बेनी माधव दास के "मूल गोसाईं-चरित' के अनुसार हमारे कवि के गुरु का नाम नरहरि है।

विराट हिन्दू नारी महा समेलन


दिनांक : 16/6/16 सुबह 9 बजे *विश्व हिन्दू परिसद* और *हिन्दू युवा संगठन* द्वारा आयोजित *विराट हिन्दू नारी महा समेलन* में पधारने के लिये हार्दिक निमंत्रण।
सनातन हिन्दू समाज का आधार स्तंभ ही हिन्दू नारी है।
हिन्दू समाज में नारी का महत्व उजागर करने के लीये स्वामिनारायण मंदिर के साध्वी और दुर्गा वाहिनी के वकताओ द्वारा नारी शक्ति में हिन्दुत्व के संस्कार और धार्मिक परंपराओ को पुनः जागृत करके सनातन समाज की महिला सुरक्षा के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में आप सभी हिन्दू नारीओ को उपस्थित रहने के लिए नम्र विनंती।
ज्यादा से ज्यादा शेर करे।
*सौजन्य:*
*श्री स्वामिनारायण मंदिर* - मांडवी।
*स्थल:*
श्री स्वामिनारायण मंदिर
मांडवी कच्छ (गुजरात)
संपर्क : 99780 54324

मोदी सरकार का 2 साल का फाईनल अनालिसिस ..! ( जवाब के साथसाथ )


मोदी सरकार का 2 साल का फाईनल अनालिसिस ..! ( जवाब के साथसाथ )

1. जम्मू कटरा प्रोजेक्ट पिछले 10 सालो से बंद था उसे 1 साल में पूरा किया और आप जम्मू से मात वैष्णव देवी 20 रु में जा सकते हो।
वर्ना टैक्सी वाले 2500 रु लेते है।

सच्चाई -  दस साल से जम्मू कटरा का काम बंद होता तो मोदीजी उसका फित्ता नही काट पाते यह योजना का काम कोंग्रेस सरकार ने पूरा किया सिर्फ 8 सालों मे...
आम आदमी की जेब से 2500 ₹ बचाने का श्रेय डॉक्टर मनमोहन सिंह को जाता है

दस नही 13 सालों से काम बंद है वह जम्मू कटरा नही अहमदाबाद मेट्रो का ...
मोदीजी एक किलोमीटर भी पटरी नही बीछा शके...!!
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2. आज तक भारत अरुणाचल में हाईवे नहीं बना सका, पर मोदी सरकार ने 1 साल में रोड बनाके पूर्ण किया (China के काफी विरोध के बाद भी)..
और अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण रूपसे भारत को जोड़ दिया।

सच्चाई - अरुणाचल प्रदेश जनमार्ग का काम डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार ने पुर्ण किया ...
चाईना ने अपनी सेना को विरोध के लिये खडा किया , जवाब मे डॉक्टर मनमोहन सिंह ने #Hercules सेना के साथ उतारा था... याद आया..?
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3. आज भारत की अपनी navigation सिस्टम (IRNSS) है। ये मोदी की अबतक की सबसे बड़ी उपलब्धि है..
क्योंकी करगिल वॉर में अमेरिका ने भारत को GPS डाटा नहीं दिया था।
आज भारत का अपना GPS लॉन्च हुआ है जिसका नाम है IRNSS

सच्चाई - IRNSS सिर्फ दो साल मे नही बना,दो साल सिर्फ परिक्षण हुए परिक्षण बन जाने के बाद होता है #ISRO की सात साल की महनत से बनीये #IRNSS प्रणाली
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4. अब तक 10,00,00,000 LED बल्ब वितरित किये गए, 21% बिजली बचत हो गयी है।

सच्चाई - भाजपा के साथी शिवसेना ने इसमे 25000 करोड़ का घोटाला बताया है और 21% बिजली की बचत और 25% बिजली और महेंगी हुईं

5. अब तक 7500+ गांव में बिजली पहुंचाई गयी।

सच्चाई - #RTI से जवाब मिला की सिर्फ 1300 गाँवों मे काम हो रहा है बाक़ी सिर्फ कागजो पर बिजली मिली है

6. इलेक्ट्रिसिटी निर्माण में 38% की बढ़ोतरी हुई

सच्चाई -पिछली सरकार से 8% कम।
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7. रेलवे ट्रैक बनाने का काम कांग्रेस में 0.6 km/day होता था।
मोदी सरकार का 3.4 km/day है।

सच्चाई - कोंग्रेस सरकार मे यह काम 8.6 KM/Day था

(8) रोड कंस्ट्रक्शन कांग्रेस में 3.7 km/day थी। मोदी सरकार 10.3 km/day है।
सिर्फ 2 साल में 7063 km रोड बन चुकी है।

सच्चाई - कोंग्रेस सरकार 16Km/Day का काम किया 2013-2014 मे 11680 किलोमीटर का रोड बनाया गया
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9. संजय गांधी निराधार योजना में केंद्र सरकार निराधार लोगो को 100 रु महीना देती थी ओ आज 600 रु महीना हो गया।
2014 तक वो पैसा केंद्र से राज्य सरकार को आता था और राज्य सरकार 3 महीने का गैप रखके वो पोस्ट के द्वारा निराधार व्यक्ति तक पहुँचाता था।
(3 महीने वो पैसा हजारो करोड़ कौन और कंहा यूज़ होता था नहीं पता)
मोदीजी ने 24 करोड़ बैंक अकाउंट खोले (गिनिस बुक वर्ल्ड रिकार्ड) और गरीब का पैसा सीधा बैंक अकाउंट में।... 0 भ्रस्टाचार ..!

सच्चाई - ऐसा कोई भूगतान मोदी सरकार ने नही किया अब भूगतान नही हुआ तो भ्रष्टाचार समझे...!!
जनघन योजना से होनेवाला नुकसान भी रिकार्ड ब्रेक है...
70% बेंक खाते खाली हर खाते का खर्च बेंक उठा रही है..!!

10. मुस्लिम बुनकर बनारस, कोल्कता, लखनऊ से एक यूनियन बनाई गई उनके माल का एक ब्रांड बनाया गया और वह ब्रांड अभी अमेरिका या यूरोपियन देशो में काफी महंगे भाव में बिकता है।
फायदा बुनकरों को हुआ और देश को भी

सच्चाई - मोदी सँचालित कोई भी काम मे सामान चाईना से मंगाया जाता है आंतराष्ट्रीय योगा दिवस पर 350 करोड़ की कालीन भी वहीं से मंगवाई थी... नुकसान देश को हुआ और बुनकर अभी भी परेशान है

.11. ये ऐसा पहला PM है जिसने पुरे देश के अंदर एक भावना जागृत की, की महिलाएं हमारी इज़्ज़त है और हम उन्हें खुले में शौच के लिए भेजते है. जिसे बीमारिया भी फैलती है. सिर्फ 2 साल में 1,40,000,00 टॉयलेट्स बन चुके है पुरे देश में ।

:- पहली बात यह पहले ऐसे प्रधानमंत्री नही दूसरे है पहले थे डॉ मनमोहन सिंह जिन्होंने ने यह जागृतता का काम किया #NirmalBharatMission के नाम से यह कार्य किया और दो साल मे 11.3  Mln + 12.4 Mln शौचालय बनाये,कुल 12 करोड़ 40 लाख टॉयलेट्स बनाए।
मोदीजी इस योजना का नाम बदला #SwachhBharatMission किया और  पहले साल 5.85 Mln बनाये दूसरे साल के आंकड़े प्राप्त नही है

12 मोदीजी ने स्कूल में बच्चियों के लिए टॉयलेट कम्पलसरी किये।

सच्चाई - डॉक्टर मनमोहन सिंह -37800
प्रधानमंत्री मोदी - 23400 आंकड़े बताते है कोन Compulsary चाहता था
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13. ये ऐसा पहला प्रधान मंत्री है जो जी तोड़ कोशिश कर रहा है की भारत को UN में स्थाई सदस्यता मिले।

सच्चाई -  मोदी पहला प्रधानमंत्री जो #UN मे कश्मीर भारत का अभिन्न अं

અમર વિરત્વ હમીરજી ગોહિલ


- અમર વિરત્વ હમીરજી ગોહિલ

ભલે યુગોના સમય વિત્યા કરે, બદલાયા કરે, પરંતુ માણસની ખાનદાની, ખુમારી અને ધરા કાજે, કોઇ ધરમ કાજે, કોઇ વટ વચન ગાય માતને કાજે, કે પછી અન્યાય સામે ધીંગાણે ચડી પાળીયા બની ગયેલા વિરોનો ઈતિહાસ હમેશા રહેવાનો છે, સૌરાષ્ટ્રની ધરતી ઉપર ઘણા માનવ રત્નો જન્મ્યા છે જે ઓની ખાનદાની અને ખુમારી આજે પણ સૌરાષ્ટ્રની ધરામાં ધરબી પડી છે,

નેક, ટેક અને ધરમની જ રે, અને વળી પાણે પાણે વાત,
ઈ તો સંત ને શૂરાના બેસણાં, અમ ધરતીની અમીરાત,

આજે જેમની વાત કરવી છે તે ગુજરાતના ઘુઘવતા અરબી સમુદ્ર કિનારા પાસે બિરાજમાન ભગવાન સોમનાથ મંદિરના ઈતિહાસમા સુવર્ણ અક્ષરોમા લખાયેલ છે, ધરમની રક્ષા કાજે યુધ્ધે ચડેલા મીઢોડ બંધા રાજપુતની આજે વાત માડવી છે. જેમનું નામ સોમનાથ મંદિરના ઈતિહાસમા અમર બની ગયું છે, ભગવાન સોમનાથ મંદિર પરીસરમા પ્રવેશતા પ્રથમ ડેરી તેમની છે, કવિએ અટલે તો કહ્યું છે...,

"ધડ ધીગાણે જેના માથા મસાણે
એના પાળિયા થઈને પુજાવું
ઘડવૈયા મારે, ઠાકોરજી નથી થવું."

ભગવાન સોમનાથના સાનિધ્યમા જેમનું સ્થાન છે એવા અમર વીરત્વ રાખનાર રાજપુત યોધ્ધાનું નામ હમીરજી ગોહિલ છે, ભીમજી ગોહિલના સૌથી નાના દિકરા હમીરજી ગોહિલ કે જેમનું નામ હિન્દુ ધર્મની રક્ષા માટે ભગવાન સોમનાથ મંદિરના ઈતિહાસમા અમર બની ગયું છે.

"જો જાણત તુજ હાથ સાચાં મોતી વાવશે
'વવરાવત દી રાત તો તુંને ! દેપાળદે..!! "

ભારત દેશની પશ્ચિમે ગુજરાતના અમરેલી જિલ્લામાં આવેલુ અરઠીલા ગામ છે. આ પ્રદેશ ગોહિલવાડ તરીકે ઓળખાય છે. આમ અરઠીલા ગામના ભીમજી ગોહિલના ત્રણ કુંવર જેમાં દુદાજી, અરજણજી અને હમીરજી થયા, ગામ અરઠીલા અને લાઠીની ગાદી દુદાજી સંભાળતા, ગઢાળીના ૧૧ ગામ અરજણજી સંભાળતા અને સૌથી નાના પુત્ર હમીરજી સમઢીયાળા ગામની ગાદી સંભાળતા હતા. આમ સૌરાષ્ટ્ર પ્રદેશનાં ગોહિલવાડના રાજકુંટુંબમાં જન્મ લઈને પોતાના કુળને છાજે તે રીતે જીવન જીવી રહ્યા હતાં. આમ તો હમીરજી ગોહિલ કવિ કલાપી તરીકે પ્રખ્યાત થયેલ સુરસિંહજી તખ્તસિંહજી ગોહિલના પુર્વજ હતા.

અરજણજી અને હમીરજી બંને ભાઈઓને અંતરે ગાંઠયુ હતી. બન્ને ભાઈને એક બીજા સાથે ખુબજ પ્રેમ હતો. એક દિવસ બન્યું એવુ કે ગઢાળીના દરબાર ગઢમા બે કુકડા વચ્ચે લડાઈ જામી છે. લડાઈમા બંને કુકડા લોહી લુહાણ થઈ ગયા હતા એમાનો એક કુકડો અરજણજીનો અને બીજો હમીરજીનો હતો, બંને પક્ષે સામ સામે પડકારા દેવાઈ રહ્યા છે. હવે બન્યું એવુ બંને કુકડામાંથી અરજણજીનો કુકડો લડતા લડતા ભાગી ગયો. કુકડો લડાઈ છોડી ભાગી જતા પોતાનો પરાજય જોઈ અરજણજી ઉકળી ઉઠ્યા અને ઊભા થઈને હમીરજીના કુકડાને માથે સોટીના ઘા મારવા લાગ્યા. કુકડાને મારતા જોઈને હમીરજી બોલ્યા કે, ભાઈ, આ તો રમત કહેવાય તેમાં એક જીતે તો બીજો હારે એમાં રોષ સાનો જો તમને ગુસ્સો આવ્યો હોય તો મને મારો ; બિચારા કુકડાનો શું વાંક ?

હમીરજીની વાત સાંભળીને અરજણજી અકળાઈ ઉઠયા કહયુ કે તનેય હમણા ફાટય આવી છે જા, હાલી નીકળ અને જયાં સુધી મારૂ નામ સંભળાય ત્યાં સુધી ક્યાંય રહેતો નહી. આમ નાની બાબતે અરજણજીએ પોતાના નાના ભાઈને જાકારો આપ્યો. અરજણજી જે બોલ બોલ્યા તેનો હમીરજીને ભારે આઘાત લાગી ગયો. નાની વાતનુ વતેસર થઈ ગયુ. હમીરજી સાથે ૨૦૦ જેટલા મર્દ રાજપુત ભાઈબંધો હતા. હમીરજી પોતાના ભાઈબંધો સાથે રાજસ્થાનના મારવાડ પંથકમા ચાલ્યા ગયા. આમ નજીવી બાબતે ભાઈ સાથે વાત બગડતા નાની ઉમંરે હમીરજીએ પોતાનુ ઘર છોડ્યું હતું.

"ઘર આંગણીયે રોજ તડકો છાંયડો હોય,
સુખ દુઃખ ના વારા નહી, બચી શકે ના કોય."

મહમદ તઘલખ તે સમયે દિલ્હીની ગાદી પર શાસન કરતો હતો, જુનાગઢમાં પોતાના સુબા સમસુદીનનો પરાજય થતા બાદશાહ તઘલઘે સમસુદીનની જગ્યાએ બદલીને ઝફરખાનને ગુજરાતનો સુબો બનાવ્યો ઝફરખાન મુળ રાજસ્થાનનો પણ સમય જતા સુબામાંથી ગુજરાતનો સ્વતંત્ર બાદશાહ બની બેસી ગયો. હિન્દુ ધર્મનો અને મૂર્તિ પુજાનો ઝફરખાન કટ્ટર વિરોધી હતો. ઝફરખાને સોમનાથમાં બાદશાહી થાણુ સ્થાપી રસુલખાન નામના અમલદારને સોમનાથનો થાણેદાર બનાવ્યો હતો. હમેશાથી ઝફરખાનની નજર સોમનાથ પર હતી કેમ કે સોમનાથ હિન્દુઓની આસ્થાનું મંદિર તો ખરું સાથે ભગવાન મહાદેવના બાર જ્યોતિલીંગમા પ્રથમ સોમનાથ હતું.

હિન્દુ ધર્મના કટ્ટર વિરોધી ઝફરખાને ફરમાન જાહેર કર્યું " હિન્દુઓને સોમનાથ મંદિરમા એકત્ર થવા દેવા નહી " પરંતુ એજ સમયે શિવરાત્રીનો તહેવાર આવતો હોય સોમનાથ મંદિરે શિવરાત્રીનો મેળો ભરાયો હતો રસુલખાન અને તેના સાગ્રીતો શિવરાત્રીના મેળામા આવી લોકો સાથે મારઝુડ કરી લોકોને વિખેરવા લાગ્યા હતા, બાળકો અને મહિલાઓ પર અત્યાચાર કરી રહ્યા હતા, આથી પરિસ્થિતિ વણસી ગઈ લોકો ઉશ્કેરાઈ ગયા રસુલખાનને પરીવાર અને સાગ્રીતો સાથે જ મારી નાખવામા આવ્યો.

રસુલખાનને મારી નાખવામા આવ્યો સમાચાર ઝફરખાનને મળતા ખાન કાળઝાળ થઈ ગયો અને સૌરાષ્ટ્રને હાથીના પગ નીચે કચડી નાખવા સળવળી ઊઠયો. બાદશાહ ઝફરખાનના મનમા કટ્ટર હિન્દુ વિચારની ધીમી આગ સોમનાથમા રસુલખાનની મોતે

क्रिकेट के सम्राट प्रथम भारतीय क्रिकेटर


क्रिकेट के सम्राट प्रथम भारतीय क्रिकेटर-नवानगर रियासत के यदुवंशी राजपूत (जडेजा )महाराजा जाम साहब रणजीत सिंह जी ।
क्रिकेट का नाम लेते ही रणजी का स्मरण होता ही है।क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए आराध्य रणजी की यह प्रेरणादायक जीवनी प्रस्तुत है जो हर छोटा -बड़ा क्रिकेट प्रेमी अवश्य पढ़ना चाहेगा ।
रणजी एक महाप्रतापी क्रिकेट खिलाड़ी थे जिनकी स्म्रति में आज देश में रणजी ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित किया जाता है ।एक छोटी सी भारतीय यदुवंशी रियासत के राजकुमार के रूप में उनका जन्म हुआ किन्तु वे इंग्लैंड के इस राष्ट्रीय खेल के सम्राट बन गए ।वे एक महान खिलाड़ी ,महान व्यक्तित्व एवं महान देशभक्त थे ।रणजी इंग्लैंड में रहकर इंग्लैंड के लिए खेलने बाले प्रथम भारतीय थे जिन्होंने न केवल अपना नाम अमर किया बल्कि भारत को ख्याति दिलाई ।
भारत के सार्वभौम स्वतंत्र राष्ट्र बनने के पूर्व अंग्रेजों के शासनकाल में यहाँ सैकड़ों छोटी रियासतें थी ।इनमें से एक रियासत नवानगर थी जो की गुजरात राज्य के काठियावाड़ क्षेत्र में स्थित थी ।नवानगर में "सरोदर "एक छोटा सा गांव था।नवानगर के राजवंश की एक शाखा उस गांव में रहा करती थी ।इसी शाखा से सम्बंधित रणजी का जन्म सन् 10सितम्बर 1872 में हुआ था ।उनके पिता जीवन सिंह जी एक किसान थे ।
रणजी ने अपना बचपन सरोदर गांव में बिताया ।इसके बाद वे शिक्षा प्राप्ति के हेतु राजकोट गये ।वहां राजकुमार कॉलेज के छात्र रहते हुए रणजी ने क्रिकेट खेलना प्रारम्भ किया।कुछ ही समय में उन्होंने बल्लेबाजी में दक्षता हासिल करली व् एक उपयोगी गेंदबाज बन गए ।वैसे देखा जाय तोबल्लेबाजी में उन्होंने विशेष निपुणता अर्जित की ।एक छोटे से गांव का किसान का बेटा और बाद में छोटी सी रियासत का महाराजा रणजी इस महान खेल का सम्राट बन गया ।
हमारे सैकड़ों महान खिलाड़ियों में अत्यंत प्रसिद्ध व् सर्वाधिक सम्मानित नाम रणजी का है ।न केवल वे समय की द्रष्टी से प्रथम रहे बल्कि हर प्रकार से वे अग्रणी रहे ।रणजी एक जादू भरा नाम है जो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है ।रणजी ने अपने समय में इतना यश प्राप्त किया कि आज सराहना व् सम्मान से भरी अनेक कथाएं उनके नाम के साथ प्रचलित है ।
कैंब्रिज विष्वविद्यालय में अध्ययन में रहते हुए भी उन्होंने बड़ी लगन के साथ बल्लेबाजी का अभ्यास किया।इंग्लैंड में बहुत सी कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करते हुए उन्होंने सभी की प्रशंसा प्राप्त करने में सफलता प्राप्त कर ली।वे बहुत से अंग्रेजों के परम मित्र बन गए ।इंग्लैंड के क्रिकेट जगत में रणजी का सम्मान किया जाने लगा ।
सन्1907 में रणजी के जीवन में एक महान अवसर आया ।उन्होंने "जाम साहब "की उपाधि के साथ नवानगर के महाराजा के रूप में शासन का कार्यभार सम्हाल लिया ।रणजी नवानगर के "जामसाहब "कहलाने लगे ।ग्रीष्मकाल में वे सदा की तरह इंग्लैंड में ही रहते थे तथा वहां क्रिकेट खेलते थे।शीतकाल में वे भारत लौट आते तथा अपनी रियासत का प्रशासनि क कारोवार स्वयं चलाते थे ।
विश्व में शान्ति कायम रखने तथा युद्ध को रोकने के उद्देश्यों से "लीग ऑफ़ नेशन्स "का गठन किया गया

।लीग का उत्तारदायत्व विश्वशांति की रक्षा करना था।लीग के 1920 में हुए अधिवेशन में भारत की रियासतों का पतिनिध्वतव करने का सम्मान रणजीत सिंह जी को मिला ।
2अप्रैल 1933 को जामनगर में रणजी का देहावसान हुआ ।उस समय उनकी आयु 61 वर्ष की थी ।भारत के प्रमुख नेताओं ने उनके देहांत को देश की महान क्षति निरूपति किया ।सम्पूर्ण विश्व में उनकी डेथ के समाचार से शोक की लहर फ़ैल गयी ।
रणजी भारत व् भारतवासियों के प्रति अत्याधिक सम्मान रखते थे ।किसी के द्वारा अपने देश की आलोचना वे कभी भी बर्दास्त नही कर पाते थे।उनकी सबसे बड़ी अभिलाषा यही थी कि इंग्लैंड में रहने वाला कोई भी भारतीय न तो इस तरह से बोले और न ही व्यवहार करे जिससे कि भारत पर लांक्षन आये ।
रणजी का जीवन चरित्र अपने आप में परिपूर्णता लिए हुए है ।भारत के ध्वज को विदेशी राष्ट्रों में ऊंचा रखने वाले तथा देश को गौरव दिलानेवाले महान बिभूतिओं में उनकी आदर के साथ गणना की जाती है और सम्मान किया जाता है ।पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह जी ने उनकी यादगार में सन् 1935"रणजी ट्रॉफी "नाम देश में पहली बार क्रिकेट खेल प्रारम्भ किया ।ऐसे महान व्यक्तित्व से हमारी युवा पीढ़ी को शिक्षा लेने की जरुरत हैकि एक किसान का बेटा भी कठिन परिश्रम व् लगन से कितना उच्च स्थान व् ख्याति प्राप्त कर सकता है ।किसी ने सत्य ही कहा है "कि खुद को कर बुलंद इतना कि खुदा भी पूछे कि तेरी रज़ा क्या है "।इन्ही शब्दों के साथ में इस महान आत्मा को सत् सत् नमन करता हूँ ।जय हिन्द ।जय राजपुताना ।

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Is massage ko tabhi padna jab aap isko forwd kar sake😥

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एक औरत गर्भ से थी
पति को जब पता लगा
की कोख में बेटी हैं तो
वो उसका गर्भपात
करवाना चाहते हैं
दुःखी होकर पत्नी अपने
पति से क्या कहती हैं :-


👧👧👧👧👧👧👧👧
🙏सुनो,
ना मारो इस नन्ही कलि को,
वो खूब सारा प्यार हम पर
लुटायेगी,
जितने भी टूटे हैं सपने,
फिर से वो सब सजाएगी..

👼👼👼👼👼👼👼
😒सुनो,
ना मारो इस नन्ही कलि को,
जब जब घर आओगे
तुम्हे खूब हंसाएगी,
तुम प्यार ना करना
बेशक उसको,
वो अपना प्यार लुटाएगी..

👸👸👸👸👸👸👸👸👸
😡सुनो
ना मारो इस नन्ही कलि को,
हर काम की चिंता
एक पल में भगाएगी,
किस्मत को दोष ना दो,
वो अपना घर
आंगन महकाएगी..

💇💇💇💇💇💇💇💇💇💇
😑ये सब सुन पति
अपनी पत्नी को कहता हैं :-

👧👧👧👧👧👧👧
👩सुनो
में भी नही चाहता मारना
इसनन्ही कलि को,
तुम क्या जानो,
प्यार नहीं हैं
क्या मुझको अपनी परी से,
पर डरता हूँ
समाज में हो रही रोज रोज
की दरिंदगी से..

👼👼👼👼👼👼👼😿
😳क्या फिर खुद वो इन सबसे अपनी लाज बचा पाएगी,
क्यूँ ना मारू में इस कलि को,
वो बहार नोची जाएगी..
में प्यार इसे खूब दूंगा,
पर बहार किस किस से
बचाऊंगा,
👸👸👸👸👸👸👸👸
😨जब उठेगी हर तरफ से
नजरें, तो रोक खुद को
ना पाउँगा..
क्या तू अपनी नन्ही परी को,
इस दौर में लाना चाहोगी,

👨👨👨👨👨👨👨👨👨👨
😞जब तड़फेगी वो नजरो के आगे, क्या वो सब सह पाओगी,
क्यों ना मारू में अपनी नन्ही परी को, क्या बीती होगी उनपे,
जिन्हें मिला हैं ऐसा नजराना,
क्या तू भी अपनी परी को
ऐसी मौत दिलाना चाहोगी..

🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅
👼ये सुनकर गर्भ से
आवाज आती है…..ं
सुनो माँ पापा-
मैं आपकी बेटी हूँ
मेरी भी सुनो :-

👧👧👧👧👧👧👧👧
🙆पापा सुनो ना,
साथ देना आप मेरा,
मजबूत बनाना मेरे हौसले को,
घर लक्ष्मी है आपकी बेटी,
वक्त पड़ने पर मैं काली भी बन जाऊँगी

👸👸👸👸👸👸👸👸
💁पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को, तुम उड़ान देना मेरे हर वजूद को,
में भी कल्पना चावला की तरह, ऊँची उड़ान भर जाऊँगी..

👧👧👧👧👧👧👧👧
🙅पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को, आप बन जाना मेरी छत्र छाया,
में झाँसी की रानी की तरह खुद की गैरो से लाज बचाऊँगी…

👼👼👼👼👼👼👼👼👼
😗पति (पिता) ये सुन कर
मौन हो गया और उसने अपने फैसले पर शर्मिंदगी महसूस
करने लगा और कहता हैं
अपनी बेटी से :-

👵👵👵👵👵👵👵👵👵👵
😞मैं अब कैसे तुझसे
नजरे मिलाऊंगा,
चल पड़ा था तेरा गला दबाने,
अब कैसे खुद को तेरेे सामने लाऊंगा,
मुझे माफ़ करना
ऐ मेरी बेटी, तुझे इस दुनियां में
सम्मान से लाऊंगा..

👧👧👧👧👧👧👧👧👧
😣वहशी हैं ये दुनिया
तो क्या हुआ, तुझे मैं दुनिया की सबसे बहादुर बिटिया
बनाऊंगा.

👶👶👶👶👶👶👶👶
👨मेरी इस गलती की
मुझे है शर्म,
घर घर जा के सबका
भ्रम मिटाऊंगा
बेटियां बोझ नहीं होती..
अब सारे समाज में
अलख जगाऊंगा!!!

Joks to sabhi share karte hai aaj dekhta hoon is msg ko kon kon share karega.
 Save girls save world...
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i hate reservation system in india ।।
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यूपीएससी टॉपर टीना डाबी से ज्यादा नम्बर होने के बाबजूद अंकित को नहीं मिली सफलता ।।।
सोशल मीडिया पर अंकित श्रीवास्तव की काफी चर्चा है। अंकित श्रीवास्तव और अभी हाल ही में UPSC टॉपर टीना डाबी ने 2015 में परीक्षा दी थी लेकिन अंकित इसमें असफल रहे। टीना डाबी के परिणाम के बाद अंकित श्रीवास्तव ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, ''टीना का CSP 2015 का स्कोर 96.66 हैं और मेरा 103.5 और इतना ही नही पेपर 2 में मेरे 127.5 अंक है जबकि टीना के 98.7।" अंकित लिखते हैं मैंने टीना से 35 अंक ज्यादा प्राप्त किये हैं। अंकित आगे लिखते हैं, 'आरक्षण व्यवस्था की महिमा कितनी चमत्कारी है इसका एहसास आज हुआ। याद रहे टीना किसी वंचित तबके से सम्बन्ध नहीं रखती हैं। उनके माता पिता दोनों इंजीरियंग सेवा में अधिकारी रहे हैं और वह हम जैसों की तरह सम्पन्न मध्यम परिवार से आती हैं।'
अंकित लिखते हैं वो टीना के प्रयासों की प्रशंसा करते हैं परन्तु एक प्रश्न यह भी निसंदेह उतना ही महत्वपूर्ण है की मेरे जैसे सैकड़ो निहायत ही क्षमतावान और समर्पित नौजवान, जो अपनी बड़ी-2 नौकरियां ठुकरा कर अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिनों के रोज 12-14 घंटे सिर्फ पढाई करते हैं, वो आज किसके द्वारा किये गए अन्यायों का दंश झेल रहे हैं? क्या आरक्षण व्यवस्था का पुनरावलोकन करने और उसे वर्तमान जातिगत व्यवस्था से अलग कर 'वास्तविक आर्थिक और सामजिक पिछड़ेपन' से सम्बद्ध करने का राजनैतिक साहस किसी में नहीं है?
अंकित श्रीवास्तव ने अपनी इस पोस्ट में रोल नम्बर के साथ टीना और अपनी मार्कशीट को संलग्न किया। थे।

208 किलो का वजन लेकर लड़ते थे प्रताप

महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था। महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो… और लम्बाई 7 फीट 5 इंच थी। यह बात अचंभित करने वाली है कि इतना वजन लेकर प्रताप रणभूमि में लड़ते थे।

भगवान शिव के आंसुओं से बना है यह कुंड, महाभारत से भी है संबंध



भगवान शिव के मंदिर दुनियाभर में मौजूद है। जिनमें से कई मंदिरों का निर्माण कुछ वर्षों पहले मनुष्यों के द्वारा  किया गया है और कई मंदिर अनादि काल से स्थित है। भगवान शिव का ऐसा ही एक मंदिर है पाकिस्तान स्थित कटसराज मंदिर।

कटसराज मंदिर पाकिस्तान के चकवाल गांव से लगभग 40 कि.मी. की दूरी पर कटस नामक स्थान में एक पहाड़ी पर है। कहा जाता है कि इस मंदिर परिसर में स्थापित कुंड का निर्माण भगवान शिव के आंसुओं से हुआ था। साथ ही इस मंदिर का संबंध महाभारत काल (त्रेतायुग) में भी था। इस मंदिर से जुड़ी पांडवों की कई कथाएं प्रसिद्ध हैं।

क्षत्रिय साम्राज्य की टीम


** राजपूत को डुबोने वाली तीन-
1-दारु , 2-दोगङ , 3-दगा

राजपूत के लिये जरुरी तीन-
1-सँस्कार , 2- महेनत , 3-भाइचारा ॥

राजपूत को प्रिय तीन-
1-न्याय , 2-नमन , 3-आदर

राजपूत को अप्रिय तीन-
1-अपमान,2- विश्वाशघात , 3-अनादर ॥

राजपूत को महान बनाने वाले तीन-
1-शरणागतरक्षक, 2-दयालूता, 3-परोपकार

राजपूत के लिये अब जरुरी तीन-
1-एकता , 2-सँस्कार ,3-धर्म पालन
 
 क्षत्रिय साम्राज्य की टीम ने 2 महीने की मेहनत कर भारत के समस्त राज्यों से राजपूत  जनसँख्या जानने की कोशिश की हे जिसके अनुसार सूची तयार हुई हे। उम्मीद हे राजपूत अपनी शक्ति पहचाने और एकजुट होकर कार्य करे :

1) जम्मू कश्मीर : 2 लाख + 4 लाख विस्थापित
2) पंजाब : 9 लाख राजपूत
3) हरयाणा : 14 लाख राजपूत
4) राजस्थान : 78 लाख राजपूत
5) गुजरात : 60 लाख राजपूत
6) महाराष्ट्र : 45 लाख राजपूत
7) गोवा : 5 लाख राजपूत
8) कर्णाटक : 45 लाख राजपूत
9) केरल : 12 लाख राजपूत
10) तमिलनाडु : 36 लाख राजपूत
11) आँध्रप्रदेश : 24 लाख राजपूत
12) छत्तीसगढ़ : 24 लाख राजपूत
13) उड़ीसा : 37 लाख राजपूत
14) झारखण्ड : 12 लाख राजपूत
15) बिहार : 90 लाख राजपूत
16) पश्चिम बंगाल : 18 लाख राजपूत
17) मध्य प्रदेश : 42 लाख राजपूत
18) उत्तर प्रदेश : 2 करोड़ राजपूत
19) उत्तराखंड : 20 लाख राजपूत
20) हिमाचल : 45 लाख राजपूत
21) सिक्किम : 1 लाख राजपूत
22) आसाम : 10 लाख राजपूत
23) मिजोरम : 1.5 लाख राजपूत
24) अरुणाचल : 1 लाख राजपूत
25) नागालैंड : 2 लाख राजपूत
26) मणिपुर : 7 लाख राजपूत
27) मेघालय : 9 लाख राजपूत
28) त्रिपुरा : 2 लाख राजपूत

 सबसे ज्यादा राजपूत वाला राज्य: उत्तर प्रदेश
 सबसे कम राजपूत वाला राज्य : सिक्किम

 सबसे ज्यादा राजपूत  राजनैतिक वर्चस्व : पश्चिम बंगाल

 सबसे ज्यादा प्रतिशत वाला राज्य : उत्तराखंड में जनसँख्या के 20 % राजपूत

अत्यधिक साक्षर राजपूत राज्य :
केरल और हिमाचल

 सबसे ज्यादा अच्छी आर्थिक स्तिथि में राजपूत  : आसाम

सबसे ज्यादा राजपूत मुख्यमंत्री वाला राज्य : राजस्थान

 सबसे ज्यादा राजपूत  विधायक वाला राज्य : उत्तर प्रदेश
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भारत लोकसभा में राजपूत  :
48 %
भारत राज्यसभा में राजपूत  : 36 %
भारत में राजपूत राज्यपाल : 50 %
भारत में राजपूत कैबिनेट सचिव : 33 %
भारत में मंत्री सचिव में राजपूत : 54%
भारत में अतिरिक्त सचिव राजपूत : 62%
भारत में पर्सनल सचिव राजपूत : 70%
यूनिवर्सिटी में राजपूत वाईस चांसलर : 51%
सुप्रीम कोर्ट में राजपूत  जज: 56%
हाई कोर्ट में राजपूत जज :
40 %
भारतीय राजदूत राजपूत  : 41%
पब्लिक अंडरटेकिंग राजपूत  :
केंद्रीय : 57%
राज्य : 82 %

बैंक में राजपूत  : 57 %
एयरलाइन्स में राजपूत : 61%
 IAS राजपूत 72%
 IPS राजपूत : 61%
टीवी कलाकार एव बॉलीवुड : राजपूत 83%
 CBI Custom राजपूत 72%

कुछ बात तो है कि हस्ती मिटती नही हमारी ।

 मिट गये हमे मिटाने वाले

 इस संदेश को इतना फैलाओ कि हर राजपूत के मोबाईल मे पहुँचे ....

जय हो राजपूत सम्राज्य की

पहले विश्व युद्ध के दौरान अविभाजित भारत


पहले विश्व युद्ध के दौरान अवि

भाजित भारत (पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश) के क़रीब दस लाख से ज़्यादा सैनिकों ने हिस्सा लिया था.
इस युद्ध के दौरान ब्रितानी सेना की ओर से लड़ते हुए अविभाजित भारत के करीब 70 हज़ार सैनिकों की मृत्यु हो गई थी. इतिहासकारों के मुताबिक इनमें से ज़्यादातर लोगों की शहादत को भुला दिया गया.
ब्रिटिश हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के सदस्य नवनीत ढोलकिया ने इस मामले में एक अभियान चलाने का फ़ैसला लिया है. इस अभियान का उद्देश्य ब्रितानी स्कूलों में इतिहास की किताब में इन सैनिकों के योगदान को शामिल कराना है.
नवनीत ढोलकिया ने कहा, “जब मैं युवाओं से मिलता हूं तो मुझे लगता है कि इतिहास से उन्हें दूसरे समुदायों के योगदान के बारे में जानकारी नहीं मिलती. जब मैं कोई सवाल पूछता तो इस मामले में एक गैप देखने को मिलता था.”
उन्होंने ये भी बताया कि भारतीय मूल के ब्रितानियों को अपने देश के लोगों के योगदान के बारे में पता होना चाहिए. नवनीत ढोलकिया ने बताया, “लोगों के लिए ये समझना महत्वपूर्ण है कि वे किस देश से आए हैं, किसी विविधता से आए हैं और सभी अवरोधों के बावजूद उनके समुदाय ने कितनी प्रगति की है.”
ब्रिटेन में 15 से 16 साल के बच्चों के लिए होने वाली परीक्षा जीसीएसई के टेक्स्ट बुक में केवल एक फोटो कैप्शन में पहले विश्वयुद्ध के दौरान भारतीयों के योगदान का जिक्र है.
किंग्स कॉलेज, लंदन के डॉ. शांतानु दास ने दोनों विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के योगदान पर कई किताबें लिखी हैं. उनका ये मानना है कि भारत में भी इन सैनिकों के योगदान को याद नहीं रखा गया है.
उन्होंने बताया, “दरअसल मुख्य कहानी में यूरोपीय लोगों का जिक्र ज़्यादा है क्योंकि जब आप किसी चीज़ को याद करते हैं कि सबसे पहले अपने परिवार से शुरुआत करते हैं और गरीब भारतीय, जो शिक्षित नहीं थे, उनकी उपेक्षा हुई है.”
इस अभियान के बारे में जानकारी लेने के लिए हमने शिक्षा विभाग से भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. ढोलकिया ने ये अभियान तब शुरू किया है जब पिछले दिनों में लंदन से सटे शहर ब्राइटन में भारतीय सैनिकों के योगदान पर जश्न मनाने वाले समारोह शुरू हुआ था.
इस समारोह के आर्टिस्टिक डायरेक्टर अजय छाबरा ने कहा, “इन सैनिकों का कोई नाम नहीं हुआ. वे हमारे लैंडस्कैप का हिस्सा बनकर रह गए हैं. उन यादों को जीवित रखने क लिए हमें उन्हें आवाज़ देनी होगी. हम उसे आंदोलन का रूप देंगे. हम उसे जीवंत बनाएंगे.”
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारतीय सैनिकों के योगदान को नृत्य, कार्यशाला और थिएटर के माध्यम से याद करना है.