ट्रेफिक के नियमों


कोई पुलिस वाला नही निकाल सकता अपकी बाइक की चाबी,
जाने क्या है चालान के नियम :-

रोड पर चलते हुए आपके कुछ अधिकार और कुछ ड्यूटी है और ये दोनों ही चीजें आपकी और दूसरों की सेफ्टी के लिए जरूरी हैं। अपने तमाम राइट्स एंजॉय करने और ड्यूटी को पूरा करने के लिए आपके पास ट्रेफिक व चालान के नियमों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। आज हम अपको बता रहे है ट्रैफिक से जुड़े ऐसे नियम जो आपके काम के हो सकते हैं|

चाबी निकालने का हक ट्रैफिक पुलिस वालों को नहीं:-

ट्रैफिक नियम तोड़ने के आरोप में जब पुलिसवाले किसी को रोकते हैं तो उसकी गाड़ी की चाबियां निकाल लेते हैं। ऐसा वे इसलिए करते हैं, क्योंकि लोग भागने की कोशिश करते हैं और अपनी और दूसरों की जिंदगी खतरे में डालते हैं। वैसे, चाबी निकालने का हक ट्रैफिक पुलिस वालों को नहीं है। ऐसा करना सही प्रैक्टिस नहीं माना जाता।

ये डॉक्युमेंट्स होने ही चाहिए अपके पास :-
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ड्राइविंग करते वक्त आपके पास
- ड्राइविंग लाइसेंस।
- वीइकल का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट यानी आरसी।
- वीइकल का इंश्योरेंस सर्टिफिकेट और वैलिड पल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट।
- इनमें ड्राइविंग लाइलेंस और वैलिड पल्यूशन सर्टिफिकेट आपके पास ओरिजनल होने चाहिए।
- जबकि आरसी और इंश्योरेंस सर्टिफिकेट की फोटो कॉपी भी अपने पास रख सकते हैं।

इन केस में हो सकता है लाइसेंस जब्त :-
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- रेड लाइट जंप करना पर।
- सामान की ओवरलोडिंग पर।
- बोझा ढोने वाले वाहनों में सवारी लेकर चलना पर।
- शराब पीकर या ड्रग्स लेकर गाड़ी चलाना।
- ड्राइविंग करते हुए मोबाइल पर बात करना और ओवर स्पीडिंग।
- ट्रैफिक के नियम तोड़ने पर ट्रैफिक पुलिस के पास यह पावर है कि वह नियम तोड़ने वाले का लाइसेंस जब्त कर ले।
- लाइसेंस की यह जब्ती तीन महीने के लिए होगी।

चालान के नियम--
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चालान तीन तरह के होते हैं|
1- ऑन द स्पॉट चालान--
- ये चालान तब काटे जाते हैं, जब नियम तोड़ने वाले को पुलिस रंगे हाथों पकड़ लेती है।
- उसे चालान थमाकर वहीं जुर्माना वसूल लेती है।
- कोई अगर उस वक्त जुर्माना नहीं भरना चाहे तो पुलिस डीएल जमा कराकर चालान दे देती है ।

2- नोटिस चालान--
- अगर कोई नियम तोड़कर भाग गया तो पुलिस उसका नंबर नोट कर उसके घर चालान भिजवा देती है।
- इस चालान का जुर्माना भरने के लिए आरोपी को एक महीने का वक्त दिया जाता है।
- अगर समय पर जुर्माना नहीं भरा गया तो चालान कोर्ट भेज दिया जाता है।

3- कोर्ट के चालान--
- कोर्ट के चालान आमतौर पर कानून तोड़ने की ऐसी गंभीर घटनाओं में दिए जाते हैं।
- जिनमें जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है।
- शराब पीकर गाड़ी चलाना ऐसा ही मामला है।
- ये किए तो ऑन द स्पॉट ही जाते हैं, लेकिन इनका जुर्माना पुलिसकर्मी नहीं वसूलते। इसके लिए कोर्ट ही जाना होता है।

अगर आपके पास ऑन द स्पॉट फाइन देने के लिए पैसे नहीं हैं तो आपको कोर्ट में जाने के लिए चालान जारी कर दिया जाएगा। दी गई तारीख को आपको कोर्ट में पेश होना होगा, लेकिन ऐसी स्थिति में पुलिसवाले आपका ओरिजनल डीएल अपने पास रख लेंगे और डीएल जमा करवाने की रसीद आपको देंगे। कोर्ट में पेश होने के बाद ही आपको अपना डीएल मिलेगा।

कौन-कौन कर सकता है फाइन--
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- 100 रुपये से ज्यादा का फाइन है तो हेड कॉन्स्टेबल से ऊपर का ट्रैफिक ऑफिसर यानी एएसआई या एसआई ही कर सकता है।
- हेड कॉन्स्टेबल को 100 रुपये तक का फाइन लेने का हक है।
- कॉन्स्टेबल को फाइन करने का हक नहीं है। वे सिर्फ गाड़ी का नंबर नोट कर सकते हैं।
- कोई ट्रैफिक वाला आपका चालान तभी काट सकता है, जब उसने वर्दी पहनी हुई हो।
- उस पर नेमप्लेट लगाई हुई हो।
- अगर उसने वर्दी नहीं पहनी है या नेम प्लेट नहीं लगाई है तो आप उसकी कार्रवाई का विरोध कर सकते हैं।

नशे में गाड़ी चलाने पर सजा--
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अगर कोई ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चला रहा है और उसके खून में ऐल्कॉहॉल की मात्रा 30 एमजी प्रति 100 एमएल से ज्यादा है या उसने इतनी मात्रा में ड्रग्स लिया हुआ है कि उसका वाहन पर नियंत्रण नहीं रह सकता, तो उसे नशे की हालत में गाड़ी चलाने का आरोपी माना जाता है।

पहली बार यह जुर्म करने पर आरोपी को छह महीने तक की जेल या दो हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है। अगर पहले जुर्म के तीन साल के अंदर कोई दोबारा ऐसा करता है तो उसे दो साल तक की जेल या तीन हजार रुपये तक का फाइन या दोनों हो सकते हैं।

अब पुलिस ऐसे शख्स का लाइसेंस भी तीन महीने के लिए जब्त कर सकती है। ऐसे मामलों में पुलिस ऑन द स्पॉट फाइन नहीं करती। सभी चालान कोर्ट भेजे जाते हैं और कोर्ट ही फाइन लगाती है। अगर आप दी

एक बोतल कोका कोला लीजिये,,,


एक बोतल कोका कोला लीजिये,,,,,
उसे खोल कर उसमे थोड़ा दूध मिला दिजिये तकरीबन जितना कोका कोला आपने जगह बनाने के लिए निकाला था,,, अब कोका कोला को पुनः उसके ढक्कन से बंद कर इसे करीबन ६,,से 7 घंटे तक छोड़ दीजिये उसके बाद का परिणाम देख कर आप जिन्दगी में कोक या कोई भी कोल्ड ड्रिंक पीना छोड़ देंगे,,
मित्रों ये कंपनिया हमें साक्षात् ज़हर पिला रही हैं lगती हैं।
इसे पढ़ कर सिर्फ अपने पास तक सीमित मत रखिए बल्कि इसे आगे बढ़ाइए और मानवता की सेवा में थोड़ा योगदान दीजिऐ ।
धन्यवाद।
में अकेला इस लड़ाई को जीत नहीं सकता ,
अगर साथ हो तुम्हारा तो में हार नहीं सकता।
समर्थन दें.. वन्देमातरम् भारत माता की जय हो ।।

राजपूत


राजपूत

 १९३१ की जनगणना के अनुसार भारत में १२.८ मिलियन राजपूत थे जिनमे से ५०००० सिख, २.१ मिलियन मुसलमान और शेष हिन्दू थे।
हिन्दू राजपूत क्षत्रिय कुल के होते हैं।



राजपूत राजपूत उत्तर भारत का एक क्षत्रिय कुल। यह नाम राजपुत्र का अपभ्रंश है। राजस्थान में राजपूतों के अनेक किले हैं। राठौर, कुशवाहा, सिसोदिया, चौहान, जादों, पंवार आदि इनके प्रमुख गोत्र हैं। राजस्थान को ब्रिटिशकाल मे राजपूताना भी कहा गया है। पुराने समय में आर्य जाति में केवल चार वर्णों की व्यवस्था थी, किन्तु बाद में इन वर्णों के अंतर्गत अनेक जातियाँ बन गईं। क्षत्रिय वर्ण की अनेक जातियों और उनमें समाहित कई देशों की विदेशी जातियों को कालांतर में राजपूत जाति कहा जाने लगा। कवि चंदबरदाई के कथनानुसार राजपूतों की 36 जातियाँ थी। उस समय में क्षत्रिय वर्ण के अंतर्गत सूर्यवंश और चंद्रवंश के राजघरानों का बहुत विस्तार हुआ। राजपूतों में मेवाड़ के महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान का नाम सबसे ऊंचा है।
राजपूत शब्द का अर्थ होता है राजा का पुत्र। राजा से राज और पुत्र से पूत आया है, यानि राजा का पुत्र से राजपूत | राजपूत एक हिँदी शब्द है जिसे हम संस्कृत मेँ राजपुत्र कहते हैँ।राजपुत सामान्यतः क्षत्रिय वर्ण मे आते है|राजस्थानी मे ये रजपुत के नाम से भी जाने जाते है। ।

राजपूतों की उत्पत्ति
इन राजपूत वंशों की उत्पत्ति के विषय में विद्धानों के दो मत प्रचलित हैं- एक का मानना है कि राजपूतों की उत्पत्ति विदेशी है, जबकि दूसरे का मानना है कि, राजपूतों की उत्पत्ति भारतीय है। 12वीं शताब्दी के बाद् के उत्तर भारत के इतिहास को टोड ने 'राजपूत काल' भी कहा है। कुछ इतिहासकारों ने प्राचीन काल एवं मध्य काल को 'संधि काल' भी कहा है। इस काल के महत्वपूर्ण राजपूत वंशों में राष्ट्रकूट वंश, चालुक्य वंश, चौहान वंश, चंदेल वंश, परमार वंश एवं गहड़वाल वंश आदि आते हैं।
विदेशी उत्पत्ति के समर्थकों में महत्वपूर्ण स्थान 'कर्नल जेम्स टॉड' का है। वे राजपूतों को विदेशी सीथियन जाति की सन्तान मानते हैं। तर्क के समर्थन में टॉड ने दोनों जातियों (राजपूत एवं सीथियन) की सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति की समानता की बात कही है। उनके अनुसार दोनों में रहन-सहन, वेश-भूषा की समानता, मांसाहार का प्रचलन, रथ के द्वारा युद्ध को संचालित करना, याज्ञिक अनुष्ठानों का प्रचलन, अस्त्र-शस्त्र की पूजा का प्रचलन आदि से यह प्रतीत होता है कि राजपूत सीथियन के ही वंशज थे।
विलियम क्रुक ने 'कर्नल जेम्स टॉड' के मत का समर्थन किया है। 'वी.ए. स्मिथ' के अनुसार शक तथा कुषाण जैसी विदेशी जातियां भारत आकर यहां के समाज में पूर्णतः घुल-मिल गयीं। इन देशी एवं विदेशी जातियों के मिश्रण से ही राजपूतों की उत्पत्ति हुई।
भारतीय इतिहासकारों में 'ईश्वरी प्रसाद' एवं 'डी.आर. भंडारकर' ने भारतीय समाज में विदेशी मूल के लोगों के सम्मिलित होने को ही राजपूतों की उत्पत्ति का कारण माना है। भण्डारकर, कनिंघम आदि ने इन्हे विदेशी बताया है। । इन तमाम विद्वानों के तर्को के आधार पर निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि, यद्यपि राजपूत क्षत्रियों के वंशज थे, फिर भी उनमें विदेशी रक्त का मिश्रण अवश्य था। अतः वे न तो पूर्णतः विदेशी थे, न तो पूर्णत भारतीय।
इतिहास
राजपूतोँ का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। हिँदू धर्म के अनुसार राजपूतोँ का काम शासन चलाना होता है।कुछ राजपुतवन्श अपने को भगवान श्री राम के वन्शज बताते है।राजस्थान का अशिकन्श भाग ब्रिटिश काल मे राजपुताना के नाम से जाना जाता था।
 राजपूतोँ के वँश
"दस रवि से दस चन्द्र से बारह ऋषिज प्रमाण, चार हुतासन सों भये कुल छत्तिस वंश प्रमाण, भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान, चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण."
अर्थ:-दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का पमाण मिलता है।
सूर्य वंश की दस शाखायें:-
१. कछवाह२. राठौड ३. बडगूजर४. सिकरवार५. सिसोदिया ६.गहलोत ७.गौर ८.गहलबार ९.रेकबार १०.जुनने
चन्द्र वंश की दस शाखायें:-
१.जादौन२.भाटी३.तोमर४.चन्देल५.छोंकर६.होंड७.पुण्डीर८.कटैरिया९.स्वांगवंश १०.वैस
अग्निवंश की चार शाखायें:-
१.चौहान२.सोलंकी३.परिहार ४.पमार.
ऋषिवंश की बारह शाखायें:-
१.सेंगर२.दीक्षित३.दायमा४.गौतम५.अनवार (राजा जनक के वंशज)६.विसेन७.करछुल८.हय९.अबकू तबकू १०.कठोक्स ११.द्लेला १२.बुन्देला चौहान वंश की चौबीस शाखायें:-
१.हाडा २.खींची ३.सोनीगारा ४.पाविया ५.पुरबिया ६.संचौरा ७.मेलवाल८.भदौरिया ९.निर्वाण १०.मलानी ११.धुरा १२.मडरेवा १३.सनीखेची १४.वारेछा १५.पसे

तुलसीदास


महान कवि तुलसीदास की प्रतिभा-किरणों से न केवल हिन्दू समाज और भारत, बल्कि समस्त संसार आलोकित हो रहा है । बड़ा अफसोस है कि उसी कवि का जन्म-काल विवादों के अंधकार में पड़ा हुआ है। अब तक प्राप्त शोध-निष्कर्ष भी हमें निश्चितता प्रदान करने में असमर्थ दिखाई देते हैं। मूलगोसाईं-चरित के तथ्यों के आधार पर डा० पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल और श्यामसुंदर दास तथा किसी जनश्रुति के आधार पर "मानसमयंक' - कार भी १५५४ का ही समर्थन करते हैं। इसके पक्ष में मूल गोसाईं-चरित की निम्नांकित पंक्तियों का विशेष उल्लेख किया जाता है।

पंद्रह सै चौवन विषै, कालिंदी के तीर,
सावन सुक्ला सत्तमी, तुलसी धरेउ शरीर ।


तुलसीदास की जन्मभूमि

तुलसीदास की जन्मभूमि होने का गौरव पाने के लिए अब तक राजापुर (बांदा), सोरों (एटा), हाजीपुर (चित्रकूट के निकट), तथा तारी की ओर से प्रयास किए गए हैं। संत तुलसी साहिब के आत्मोल्लेखों, राजापुर के सरयूपारीण ब्राह्मणों को प्राप्त "मुआफी' आदि बहिर्साक्ष्यों और अयोध्याकांड (मानस) के तायस प्रसंग, भगवान राम के वन गमन के क्रम में यमुना नदी से आगे बढ़ने पर व्यक्त कवि का भावावेश आदि अंतर्साक्ष्यों तथा तुलसी-साहित्य की भाषिक वृत्तियों के आधार पर रामबहोरे शुक्ल राजापुर को तुलसी की जन्मभूमि होना प्रमाणित हुआ है।

रामनरेश त्रिपाठी का निष्कर्ष है कि तुलसीदास का जन्म स्थान सोरों ही है। सोरों में तुलसीदास के स्थान का अवशेष, तुलसीदास के भाई नंददास के उत्तराधिकारी नरसिंह जी का मंदिर और वहां उनके उत्तराधिकारियों की विद्यमानता से त्रिपाठी और गुप्त जी के मत को परिपुष्ट करते हैं।

जाति एवं वंश

जाति और वंश के सम्बन्ध में तुलसीदास ने कुछ स्पष्ट नहीं लिखा है। कवितावली एवं विनयपत्रिका में कुछ पंक्तियां मिलती हैं, जिनसे प्रतीत होता है कि वे ब्राह्मण कुलोत्पन्न थे-

दियो सुकुल जनम सरीर सुदर हेतु जो फल चारि को
जो पाइ पंडित परम पद पावत पुरारि मुरारि को ।
(विनयपत्रिका)

भागीरथी जलपान करौं अरु नाम द्वेै राम के लेत नितै हों ।
मोको न लेनो न देनो कछु कलि भूलि न रावरी और चितैहौ ।।

जानि के जोर करौं परिनाम तुम्हैं पछितैहौं पै मैं न भितैहैं
बाह्मण ज्यों उंगिल्यो उरगारि हौं त्यों ही तिहारे हिए न हितै हौं।

जाति-पांति का प्रश्न उठने पर वह चिढ़ गये हैं। कवितावली की निम्नांकित पंक्तियों में उनके अंतर का आक्रोश व्यक्त हुआ है -

""धूत कहौ अवधूत कहौ रजपूत कहौ जोलहा कहौ कोऊ काहू की बेटी सों बेटा न व्याहब,
काहू की जाति बिगारी न सोऊ।''

""मेरे जाति-पांति न चहौं काहू का जाति-पांति,
मेरे कोऊ काम को न मैं काहू के काम को ।''

राजापुर से प्राप्त तथ्यों के अनुसार भी वे सरयूपारीण थे। तुलसी साहिब के आत्मोल्लेख एवं मिश्र बंधुओं के अनुसार वे कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। जबकि सोरों से प्राप्त तथ्य उन्हें सना ब्राह्मण प्रमाणित करते है, लेकिन "दियो सुकुल जनम सरीर सुंदर हेतु जो फल चारि को' के आधार पर उन्हें शुक्ल ब्राह्मण कहा जाता है। परंतु शिवसिंह "सरोज' के अनुसार सरबरिया ब्राह्मण थे।

ब्राह्मण वंश में उत्पन्न होने के कारण कवि ने अपने विषय में "जायो कुल मंगन' लिखा है। तुलसीदास का जन्म अर्थहीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जिसके पास जीविका का कोई ठोस आधार और साधन नहीं था। माता-पिता की स्नेहिल छाया भी सर पर से उठ जाने के बाद भिक्षाटन के लिए उन्हें विवश होना पड़ा।

माता-पिता

तुलसीदास के माता पिता के संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं है। प्राप्त सामग्रियों और प्रमाणों के अनुसार उनके पिता का नाम आत्माराम दूबे था। किन्तु भविष्यपुराण में उनके पिता का नाम श्रीधर बताया गया है। रहीम के दोहे के आधार पर माता का नाम हुलसी बताया जाता है।

सुरतिय नरतिय नागतिय, सब चाहत अस होय ।
गोद लिए हुलसी फिरैं, तुलसी सों सुत होय ।।

गुरु

तुलसीदास के गुरु के रुप में कई व्यक्तियों के नाम लिए जाते हैं। भविष्यपुराण के अनुसार राघवानंद, विलसन के अनुसार जगन्नाथ दास, सोरों से प्राप्त तथ्यों के अनुसार नरसिंह चौधरी तथा ग्रियर्सन एवं अंतर्साक्ष्य के अनुसार नरहरि तुलसीदास के गुरु थे। राघवनंद के एवं जगन्नाथ दास गुरु होने की असंभवता सिद्ध हो चुकी है। वैष्णव संप्रदाय की किसी उपलब्ध सूची के आधार पर ग्रियर्सन द्वारा दी गई सूची में, जिसका उल्लेख राघवनंद तुलसीदास से आठ पीढ़ी पहले ही पड़ते हैं। ऐसी परिस्थिति में राघवानंद को तुलसीदास का गुरु नहीं माना जा सकता।

सोरों से प्राप्त सामग्रियों के अनुसार नरसिंह चौधरी तुलसीदास के गुरु थे। सोरों में नरसिंह जी के मंदिर तथा उनके वंशजों की विद्यमानता से यह पक्ष संपुष्ट हैं। लेकिन महात्मा बेनी माधव दास के "मूल गोसाईं-चरित' के अनुसार हमारे कवि के गुरु का नाम नरहरि है।

विराट हिन्दू नारी महा समेलन


दिनांक : 16/6/16 सुबह 9 बजे *विश्व हिन्दू परिसद* और *हिन्दू युवा संगठन* द्वारा आयोजित *विराट हिन्दू नारी महा समेलन* में पधारने के लिये हार्दिक निमंत्रण।
सनातन हिन्दू समाज का आधार स्तंभ ही हिन्दू नारी है।
हिन्दू समाज में नारी का महत्व उजागर करने के लीये स्वामिनारायण मंदिर के साध्वी और दुर्गा वाहिनी के वकताओ द्वारा नारी शक्ति में हिन्दुत्व के संस्कार और धार्मिक परंपराओ को पुनः जागृत करके सनातन समाज की महिला सुरक्षा के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में आप सभी हिन्दू नारीओ को उपस्थित रहने के लिए नम्र विनंती।
ज्यादा से ज्यादा शेर करे।
*सौजन्य:*
*श्री स्वामिनारायण मंदिर* - मांडवी।
*स्थल:*
श्री स्वामिनारायण मंदिर
मांडवी कच्छ (गुजरात)
संपर्क : 99780 54324

मोदी सरकार का 2 साल का फाईनल अनालिसिस ..! ( जवाब के साथसाथ )


मोदी सरकार का 2 साल का फाईनल अनालिसिस ..! ( जवाब के साथसाथ )

1. जम्मू कटरा प्रोजेक्ट पिछले 10 सालो से बंद था उसे 1 साल में पूरा किया और आप जम्मू से मात वैष्णव देवी 20 रु में जा सकते हो।
वर्ना टैक्सी वाले 2500 रु लेते है।

सच्चाई -  दस साल से जम्मू कटरा का काम बंद होता तो मोदीजी उसका फित्ता नही काट पाते यह योजना का काम कोंग्रेस सरकार ने पूरा किया सिर्फ 8 सालों मे...
आम आदमी की जेब से 2500 ₹ बचाने का श्रेय डॉक्टर मनमोहन सिंह को जाता है

दस नही 13 सालों से काम बंद है वह जम्मू कटरा नही अहमदाबाद मेट्रो का ...
मोदीजी एक किलोमीटर भी पटरी नही बीछा शके...!!
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2. आज तक भारत अरुणाचल में हाईवे नहीं बना सका, पर मोदी सरकार ने 1 साल में रोड बनाके पूर्ण किया (China के काफी विरोध के बाद भी)..
और अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण रूपसे भारत को जोड़ दिया।

सच्चाई - अरुणाचल प्रदेश जनमार्ग का काम डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार ने पुर्ण किया ...
चाईना ने अपनी सेना को विरोध के लिये खडा किया , जवाब मे डॉक्टर मनमोहन सिंह ने #Hercules सेना के साथ उतारा था... याद आया..?
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3. आज भारत की अपनी navigation सिस्टम (IRNSS) है। ये मोदी की अबतक की सबसे बड़ी उपलब्धि है..
क्योंकी करगिल वॉर में अमेरिका ने भारत को GPS डाटा नहीं दिया था।
आज भारत का अपना GPS लॉन्च हुआ है जिसका नाम है IRNSS

सच्चाई - IRNSS सिर्फ दो साल मे नही बना,दो साल सिर्फ परिक्षण हुए परिक्षण बन जाने के बाद होता है #ISRO की सात साल की महनत से बनीये #IRNSS प्रणाली
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4. अब तक 10,00,00,000 LED बल्ब वितरित किये गए, 21% बिजली बचत हो गयी है।

सच्चाई - भाजपा के साथी शिवसेना ने इसमे 25000 करोड़ का घोटाला बताया है और 21% बिजली की बचत और 25% बिजली और महेंगी हुईं

5. अब तक 7500+ गांव में बिजली पहुंचाई गयी।

सच्चाई - #RTI से जवाब मिला की सिर्फ 1300 गाँवों मे काम हो रहा है बाक़ी सिर्फ कागजो पर बिजली मिली है

6. इलेक्ट्रिसिटी निर्माण में 38% की बढ़ोतरी हुई

सच्चाई -पिछली सरकार से 8% कम।
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7. रेलवे ट्रैक बनाने का काम कांग्रेस में 0.6 km/day होता था।
मोदी सरकार का 3.4 km/day है।

सच्चाई - कोंग्रेस सरकार मे यह काम 8.6 KM/Day था

(8) रोड कंस्ट्रक्शन कांग्रेस में 3.7 km/day थी। मोदी सरकार 10.3 km/day है।
सिर्फ 2 साल में 7063 km रोड बन चुकी है।

सच्चाई - कोंग्रेस सरकार 16Km/Day का काम किया 2013-2014 मे 11680 किलोमीटर का रोड बनाया गया
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9. संजय गांधी निराधार योजना में केंद्र सरकार निराधार लोगो को 100 रु महीना देती थी ओ आज 600 रु महीना हो गया।
2014 तक वो पैसा केंद्र से राज्य सरकार को आता था और राज्य सरकार 3 महीने का गैप रखके वो पोस्ट के द्वारा निराधार व्यक्ति तक पहुँचाता था।
(3 महीने वो पैसा हजारो करोड़ कौन और कंहा यूज़ होता था नहीं पता)
मोदीजी ने 24 करोड़ बैंक अकाउंट खोले (गिनिस बुक वर्ल्ड रिकार्ड) और गरीब का पैसा सीधा बैंक अकाउंट में।... 0 भ्रस्टाचार ..!

सच्चाई - ऐसा कोई भूगतान मोदी सरकार ने नही किया अब भूगतान नही हुआ तो भ्रष्टाचार समझे...!!
जनघन योजना से होनेवाला नुकसान भी रिकार्ड ब्रेक है...
70% बेंक खाते खाली हर खाते का खर्च बेंक उठा रही है..!!

10. मुस्लिम बुनकर बनारस, कोल्कता, लखनऊ से एक यूनियन बनाई गई उनके माल का एक ब्रांड बनाया गया और वह ब्रांड अभी अमेरिका या यूरोपियन देशो में काफी महंगे भाव में बिकता है।
फायदा बुनकरों को हुआ और देश को भी

सच्चाई - मोदी सँचालित कोई भी काम मे सामान चाईना से मंगाया जाता है आंतराष्ट्रीय योगा दिवस पर 350 करोड़ की कालीन भी वहीं से मंगवाई थी... नुकसान देश को हुआ और बुनकर अभी भी परेशान है

.11. ये ऐसा पहला PM है जिसने पुरे देश के अंदर एक भावना जागृत की, की महिलाएं हमारी इज़्ज़त है और हम उन्हें खुले में शौच के लिए भेजते है. जिसे बीमारिया भी फैलती है. सिर्फ 2 साल में 1,40,000,00 टॉयलेट्स बन चुके है पुरे देश में ।

:- पहली बात यह पहले ऐसे प्रधानमंत्री नही दूसरे है पहले थे डॉ मनमोहन सिंह जिन्होंने ने यह जागृतता का काम किया #NirmalBharatMission के नाम से यह कार्य किया और दो साल मे 11.3  Mln + 12.4 Mln शौचालय बनाये,कुल 12 करोड़ 40 लाख टॉयलेट्स बनाए।
मोदीजी इस योजना का नाम बदला #SwachhBharatMission किया और  पहले साल 5.85 Mln बनाये दूसरे साल के आंकड़े प्राप्त नही है

12 मोदीजी ने स्कूल में बच्चियों के लिए टॉयलेट कम्पलसरी किये।

सच्चाई - डॉक्टर मनमोहन सिंह -37800
प्रधानमंत्री मोदी - 23400 आंकड़े बताते है कोन Compulsary चाहता था
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13. ये ऐसा पहला प्रधान मंत्री है जो जी तोड़ कोशिश कर रहा है की भारत को UN में स्थाई सदस्यता मिले।

सच्चाई -  मोदी पहला प्रधानमंत्री जो #UN मे कश्मीर भारत का अभिन्न अं